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बिहार: शर्मनाक! अस्पताल के क्वरेंटाइन में भर्ती महिला से बलात्कार, मौत

जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है ठीक उसी समय बिहार में एक महिला के साथ बलात्कार की ख़बर आती है। यह घटना उस समय होती है जब वह कोरोना बीमारी से बचाव के लिए बनाए गए गया के मगध अस्पताल के क्वरेंटाइन वार्ड में महिला भर्ती थी। इस शर्मनाक घटना के बारे में मीडिया में ख़बर आने के बाद पुलिस प्रशासन और अस्पताल हरकत में आता है। आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज होती है और मगध मेडिकल अस्पताल इस मामले की जाँच के लिए कमिटी का गठन करता है। अभी तक जाँच की रिपोर्ट सामने नहीं आयी है। यह पता करना अब और भी मुश्किल होगा कि 29 मार्च से 2 अप्रैल के बीच उस महिला के साथ क्या हादसा हुआ? वे कौन लोग थे? 

27 मार्च को महिला गया के मगध मेडिकल अस्पताल में भर्ती होती है ब्लीडिंग की समस्या को लेकर। 29 मार्च को उसे अलग वार्ड में क्वरेंटाइन के लिए रखा जाता है। 2 अप्रैल को उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है। और 6 अप्रैल को उसकी मौत हो जाती है। महिला की सास फुलवा देवी का कहना है कि जब उसे क्वरेंटाइन के लिए अलग वार्ड में रखा गया था उस दौरान उसके साथ बलात्कार किया गया। यह बात उसकी बहू ने उसे बताया। रौशनगंज थाना में यह मामला दर्ज किया गया है पर अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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यह कैसा समय है जब महिलाओं के लिए अस्पताल भी सुरक्षित नहीं है? महिलाएँ किस पर भरोसा करे? अस्पताल उसके दुःख में बदल गया। उसके शरीर से ख़ून बहना बंद नहीं हुआ था। अस्पताल से आने के बाद बिस्तर पर दर्द से कराह रही थी। उसका चेहरा शोक से खिंचा हुआ था, कई दिनों की थकान उसके चेहरे पर थी। तकलीफ से उसका चेहरा ऐंठ गया था। 6 अप्रैल को उसने दम तोड़ दिया।

जिस देश में ज़िंदा रहते हुए महिलाओं को न्याय नहीं मिलता है उस देश में यह उम्मीद करना कि मौत के बाद किसी महिला के साथ बलात्कार करने वाले की शिनाख्त होगी, मुमकिन नहीं लगता।

हज़ारों किलोमीटर दूर अपने घर लौटे मज़दूरों ने सिर्फ़ भूख और परेशानी ही नहीं झेली, बल्कि वे तरह-तरह की हिंसा के भी शिकार हुए हैं। महिला मज़दूरों की और भी बुरी हालत है। आँकड़े बताते हैं कि इस लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में भी इज़ाफा हुआ है। महिलाओं के साथ हिंसा की घटना में इज़ाफा अमेरिका जैसे देश में ही हुआ है तो बिहार जैसी जगहों पर महिलाओं के साथ हो रही हिंसा के ग्राफ़ का अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है।

बिहार की विभिन्न महिला संगठनों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बिहार सरकार के प्रधान सचिव को ख़त लिख कर मामले की जाँच और महिलाओं की सुरक्षा की माँग की है। उन्होंने अपनी  मांग में  क्वरेंटाइन सेंटर और आईसोलेशन वार्ड में महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था की माँग की है जहाँ महिला नर्सों को रखे जाने और पूर्ण सुरक्षा देने की गुज़ारिश की गयी है। 

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महिलाओं के साथ हिंसा नयी परिघटना नहीं है पर इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि अस्पताल में भी वह सुरक्षित नहीं रहे। ऐसी जघन्य हिंसा से हमारा समाज, हमारे सपने तक आरंजित हैं। बलात्कार एक बीमार विचार है जहाँ आप स्त्री को अपनी वस्तु की तरह देखते हैं। जिसे आप भोगने का सामान समझते हैं। यह विचार दुनिया के सामने नंगे और निर्लज्ज खड़े हैं। सिर्फ़ इसलिए कि वह एक औरत है इसलिए उसकी देह रौंद दी जाए। दुखद है कि अभी तक इस मामले में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। जाँच की टीम ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया है।
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