करो या मरो! 1942 की अगस्त क्रांति का यही नारा था जिसने दूर दिखाई पड़ रही आज़ादी की भोर को अगले पाँच साल में हक़ीक़त बना दिया। यह 1857 के बाद सबसे बड़ी क्रांति थी जिसने भारत में अंग्रेज़ी राज पर निर्णायक चोट की थी। पर इस क्रांति के साथ एक सपना भी जुड़ा था जिसे 80 साल बाद आज ज़मींदोज़ होते देखा जा रहा है। 2019 के अगस्त महीने में देश का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर राज्य न सिर्फ़ विभाजित हुआ, बल्कि धरती का स्वर्ग कही जाने वाली घाटी क़ैदख़ाने में तब्दील हो चुकी है। जनता ख़ामोश है और नारा सरकार दे रही है- डरो या मरो!