आंबेडकर पर अमित शाह के बयान के बाद देश में बवाल मचा है और आरएसएस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। जानिए, आख़िर आरएसएस का क्या योगदान रहा है? पढ़िए, दो साल पहले लिखा शमसुल इस्लाम का लेख...।
करो या मरो! 1942 की अगस्त क्रांति का यही नारा था जिसने दूर दिखाई पड़ रही आज़ादी की भोर को अगले पाँच साल में हक़ीक़त बना दिया। इस क्रांति के साथ एक सपना भी जुड़ा था जिसे 80 साल बाद आज ज़मींदोज़ होते देखा जा रहा है।