महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने बुधवार को दावा किया कि जब वह भारत छोड़ो दिवस मनाने के लिए निकले थे तो उन्हें मुंबई के सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा, 'स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, मुझे सांता क्रूज़ पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया है क्योंकि मैं 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस मनाने के लिए घर से निकला था। मुझे गर्व है कि मेरे परदादा बापू और बा को भी ऐतिहासिक तारीख पर ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।'
इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्विटर पर लिखा, 'Quit India की जगह Quiet India ने ले लिया है।'
Quit India has been replaced with Quiet India. https://t.co/bC1XaYXm6L
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) August 9, 2023
भारत छोड़ो दिवस 9 अगस्त 1942 को हुए नागरिक विद्रोह की सालगिरह का प्रतीक है। यह स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के अंतिम चरणों में से एक साबित हुआ। इस दिन महात्मा गांधी के 'करो या मरो' के आह्वान पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन करते हुए बड़ी संख्या में भारतीय सड़कों पर उतर आए।
वैसे, 'भारत छोड़ो' आंदोलन में बीजेपी और आरएसएस की भूमिका को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। विपक्षी दलों के नेता भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस ख़त के हवाले से हमला करते रहे हैं जिसे उन्होंने अंग्रजों को लिखा था। एक रिपोर्ट के अनुसार डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के ब्रिटिश गवर्नर को खत लिखकर भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए कहा था।
खत में उन्होंने लिखा था कि वह अंग्रेजी हुकूमत के साथ हैं। जनसत्ता की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी, फ्रॉम ए डायरी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी’ के अंश के मुताबिक, मुखर्जी ने बंगाल में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था और उसे कुचलने के उपाय ब्रिटिश गवर्नर जॉन हरबर्ट को सुझाए थे। रिपोर्ट के अनुसार एजी नूरानी की किताब में भी इसका ज़िक्र है। जिस समय वह ख़त लिखा गया था उस समय वह मुस्लिम लीग-हिंदू महासभा की उस साझा सरकार के वित्त मंत्री थे। मुखर्जी 1941 में मुस्लिम लीग की अगुआई में बनी संयुक्त सरकार में शामिल हुए थे।
मुखर्जी ने 26 जुलाई, 1942 को बंगाल के गवर्नर सर जॉन आर्थर हरबर्ट से कहा, 'कांग्रेस द्वारा बड़े पैमाने पर छेड़े गए आंदोलन के कारण सूबे में जो स्थिति उत्पन्न हो रही है, उसकी ओर वह ध्यान दिलाना चाहते हैं।' उन्होंने लिखा, 'किसी भी सरकार को ऐसे लोगों को कुचला जाना चाहिए जो युद्ध के समय लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम करते हों, जिससे गड़बड़ी या आंतरिक असुरक्षा की स्थिति पैदा होती है।'
बहरहाल, तुषार गांधी को बुधवार को उस समय हिरासत में ले लिया जब वह सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ समेत अन्य लोगों के साथ एक विरोध मार्च में हिस्सा लेने के लिए अपने मुंबई स्थित घर से निकले थे। 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत को मनाने के लिए आयोजित विरोध प्रदर्शन को 'शांति मार्च' नाम दिया गया था।
सीतलवाड़ के अलावा स्वतंत्रता सेनानी जीजी पारिख भी मार्च में हिस्सा लेंगे। पारिख को एक छात्र स्वयंसेवक के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में डाल दिया गया था।
कार्यक्रम के आयोजकों ने आरोप लगाया कि लेखक और महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी और कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को पुलिस ने आज मुंबई में एक विरोध मार्च में शामिल होने से रोक दिया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार आयोजकों के एक बयान में कहा गया है कि तुषार गांधी को हिरासत में लिया गया और सांताक्रूज़ पुलिस स्टेशन ले जाया गया, और सीतलवाड़ को घर के अंदर रहने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जीजी पारिख को भी विरोध प्रदर्शन में भाग लेने से रोक दिया गया।
विरोध प्रदर्शन के एक पोस्टर पर लिखा था, 'नफरतों भारत छोड़ो, मोहब्बत से दिलों को जोड़ो।' इस विरोध-प्रदर्शन को असहमति की आवाज़ के लिए मार्च के तौर पर देखा जा रहा है। तुषार गांधी ने एक ट्वीट में लिखा कि हमारी शांति और अहिंसा से ये भगौड़ा सरकार डरती क्यों है?
हमारी शांति और अहिंसा से ये भगौड़ा सरकार डरती क्यों है?
— Tushar GANDHI (@TusharG) August 9, 2023
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्हें मार्च में शामिल होने से रोकने के लिए उनके घर के बाहर 20 पुलिसकर्मियों की एक टुकड़ी तैनात की गई थी। सुबह करीब 10 बजे उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस स्टेशन छोड़ने की अनुमति दे दी गई और वह अगस्त क्रांति मैदान जा रहे हैं।
अगले पोस्ट में कहा गया कि एक मुस्लिम टैक्सी ड्राइवर ने पहले तो उन्हें सवारी देने से मना कर दिया क्योंकि वह डरा हुआ था। उन्होंने कहा, 'हमारे समाज में डर इतना स्पष्ट है, मुझे जाने की अनुमति मिलने के बाद मैं सांता क्रूज़ पुलिस स्टेशन में एक रिक्शा में चढ़ गया। जब हम बांद्रा पहुंचे तो मैंने एक बूढ़े मुस्लिम टैक्सी ड्राइवर से मुझे अगस्त क्रांति मैदान तक ले जाने के लिए कहा, उसने पुलिस की गाड़ी देखी। और घबराकर मुझसे कहा, 'साब मुझे नहीं फंसना'।
उन्होंने कहा, 'उन्हें आश्वस्त करने के लिए बहुत समझाने की कोशिश की गई। यही कारण है कि आज हमारा समाज इसी बीमारी से ग्रस्त है।'
भाजपा समर्थित एकनाथ शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए आयोजकों ने कहा, 'भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जारी किए गए विज्ञापन में भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र तक नहीं है। यह एक बार फिर स्पष्ट है कि भाजपा-आरएसएस हमारे स्वतंत्रता संग्राम को विकृत करने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, या कहें तो सबसे खराब प्रयास कर रहे हैं।'
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