नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत (भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1980 बैच के अधिकारी) का कहना है कि भारत में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यहां ‘कुछ ज़्यादा ही’ लोकतंत्र है। राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था से जुड़ा व्यक्ति जब इस आशय की कोई बात कहता है और वह भी ठीक उस समय जब कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों का राष्ट्रव्यापी विरोध चल रहा हो तो निश्चित ही उसके ‘पीछे’ काफ़ी वज़न होना चाहिए।