किसान आंदोलन को लेकर अब आगे क्या होने वाला है? सरकार क्या करने वाली है? समूचे देश (और दुनिया की भी) नज़रें इस समय दिल्ली की तरफ़ टिक गईं हैं। सरकार के अगले कदम की किसी को कोई जानकारी नहीं है। मतलब, कुछ भी हो सकता है। सब कुछ मुमकिन है। सरकार की ओर से संकेत भी मिलना प्रारम्भ हो गए हैं कि विवादास्पद क़ानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा।
किसानों के आंदोलन को कितना खींच सकते हैं मोदी!
- विचार
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- 8 Dec, 2020

जन-आंदोलन के दबाव में किसी एक भी मुद्दे पर समझौते का अर्थ यही होगा कि उन तमाम आर्थिक नीतियों की धारा ही बदल दी जाए जिन पर सरकार पिछले छह वर्षों से लगी हुई थी और जिनके ज़रिए वह ‘फ़ाइव ट्रिलियन इकॉनामी’ की ताक़त दुनिया में क़ायम करना चाहती है।
विपक्ष की आवाज़ को दरकिनार करते हुए जिस तरह की प्रक्रिया कृषि विधेयकों को पारित करवाने के लिए संसद में (ख़ासकर राज्य सभा में) अपनाई गई थी, बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार के लिए यह दांव राजनीतिक रूप से कितना क़ीमती है।