सवाल है कि आख़िर वुहान में फटे कोरोना ज्वालामुखी के बाद विकसित देशों और ख़ासकर अमेरिकी मीडिया ने चीन के ख़िलाफ़ मोर्चा क्यों खोल रखा है? चीन को सारी दुनिया में खलनायक बनाकर क्यों पेश किया जा रहा है? क्या इसका कोई सियासी मक़सद भी है?
आख़िर क्यों अमेरिका चीन को खलनायक बनाकर पेश कर रहा है?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

यह स्थापित नियम है कि झूठ को इतना फैला दो कि लोग उसे ही सच समझने लगें। इस बार भी यही दाँव खेला जा रहा है। राजनीति में कोई भी दूध का धुला नहीं होता। चीन भी नहीं हो सकता लेकिन यह किससे छिपा है कि अमेरिका में पहला संक्रमित 20 जनवरी को मिला। भारत से 10 दिन पहले। अगले 40 दिन तक ट्रम्प प्रशासन के पास बयानबाज़ी के सिवाय कोरोना से लड़ने की कोई ख़ास तैयारी नहीं थी।
कोरोना को लेकर अमेरिका और उसके मित्र देशों ने चीन की जैसी आलोचना की, वैसे उन्होंने यदि अपने गिरेबान में झाँकने को लेकर किया होता तो शायद हालात इतने भयावह नहीं होते। अमेरिकी और मित्र देशों के मीडिया ने चीन का चरित्र-हनन करने वाली ख़ूब ‘प्लांटेड ख़बरें’ चलायीं। किसी ने कहा कि कोरोना को प्रयोगशाला में जैविक हथियार की तरह बनाया गया है, तो किसी ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से कोरोना लीक हो गया, किसी ने कहा कि कोरोना का पता चलने के बाद चीन ने जानबूझकर इसका सारा ब्यौरा दुनिया को नहीं दिया और अपने मृतकों की तादाद को छिपाया। यहाँ तक कि अमेरिका और जर्मनी की निजी कम्पनियों ने चीन से भारी-भरकम हर्ज़ाना भी माँग डाला।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली