भारत में हाल के कुछ महीनों में मुसलमानों पर अत्याचार और उत्पीड़न बढ़े हैं तथा मीडिया के कुछ लोगों द्वारा उन्हें आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी नागरिकों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
मुसलमानों की देश विरोधी छवि बनाने में जुटा मीडिया का एक वर्ग
- विचार
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- 18 Apr, 2020

कोरोना संकट के इस बेहद कठिन दौर में भी मीडिया के एक वर्ग द्वारा पूरी ताक़त के साथ यह बताने की कोशिश की गई है कि इस वायरस के संक्रमण के लिए तब्लीग़ी जमात पूरी तरह जिम्मेदार है। इस वर्ग ने मुसलमानों को आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी नागरिकों के रूप में प्रस्तुत किया है। इसके बाद देश भर में मुसलमानों पर हमले और उनसे भेदभाव किए जाने की ख़बरें सामने आई हैं।
मैं इसे लेकर कुछ विशेष उदाहरण देना चाहता हूं:
(1) कई मीडिया चैनलों ने तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद को एक शैतान के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 304 (ग़ैर इरादतन हत्या) के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है और उनके घर पर छापा भी मारा गया है।
यह आरोप कि उन्होंने जानबूझकर भारत में कोरोना वायरस फैलाया है, सरासर झूठ और हास्यास्प्रद प्रतीत होता है। मुसलमान दशकों से निजामुद्दीन के मरकज़ में इकट्ठा होते रहे हैं और इसलिए मार्च में भी हुए थे। मरकज़ में कई लोग मलेशिया, इंडोनेशिया, किर्गिस्तान आदि से आए थे और यह संभव है कि कुछ लोग कोरोना से संक्रमित रहे हों जिन्होंने अनजाने में जमात के दूसरे लोगों में भी बीमारी फैलायी। लेकिन यह कहना कि ऐसा जानबूझकर किया गया, यह बिल्कुल बेतुका है। इसलिए मौलाना के ख़िलाफ़ यह एफ़आईआर पूरी तरह से अनुचित और आधारहीन है।