मुलायम सिंह यादव नहीं रहे। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका एक अलग स्थान रहा। उत्तर भारत की सामाजिक न्याय की राजनीति में चौधरी चरण सिंह के बाद वे शीर्ष नेता रहे जिन्होंने पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों का एक नया और मज़बूत गठजोड़ बनाया। बिहार में लालू यादव से पहले मुलायम सिंह यादव ने सामाजिक न्याय की राजनीति की शुरुआत की। मुलायम सिंह की राजनीति और उनके राजनीतिक सफर को समझने के लिए कुछ पीछे जाना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश का एक नारा जो किसी नेता के नाम पर ज़्यादा लोकप्रिय रहा वह था- ‘जलवा जिसका कायम है, उसका नाम मुलायम है!’ यह नारा प्रदेश में किसी और नेता के लिए हमने नहीं सुना। यह नारा उनकी राजनीतिक पूंजी का एक छोटा सा हिस्सा है। वह नेता जो सुबह आठ बजे तक अपनी पार्टी के सौ से ज़्यादा कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात समूचे प्रदेश की राजनीतिक नब्ज को जानता-समझता था वह नेता जिसे ‘धरती पुत्र’ कहा जाता था, उसका एक दौर में लखनऊ में अपना कोई घर का पता तक नहीं था।
जलवा एक खांटी समाजवादी का!
- श्रद्धांजलि
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- 12 Oct, 2022

समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव को किस रूप में याद किया जाएगा? मुलायम सिंह यादव को जमीनी राजनीति करने वाले नेता और खरी-खरी बात कहने वाले नेता के तौर पर क्यों जाना जाता है?