राहत भाई आप तो कहते थे कि...“वबा फैली हुई है हर तरफ़, अभी माहौल मर जाने का नई..!” तो फिर इतनी जल्दी? ऐसे? हे ईश्वर! बेहद दुखद! इतनी बेबाक़ ज़िंदगी और ऐसा तरंगित शब्द-सागर इतनी ख़ामोशी से विदा होगा, कभी नहीं सोचा था!