लखनऊ में हमारे मित्र रहते हैं, जो गीतकार हैं। 90 के दशक में मुंबई की फ़िल्मी दुनिया में संघर्ष कर रहे थे। खुद पत्रकार थे लेकिन साल में कई बार संभावनाएँ तलाशने मुंबई जाते रहते थे। वह अक्सर मुंबई जाकर राजू श्रीवास्तव के घर ठहरते या फिर उनसे मुलाकात जरूर करते। तब तक राजू की जिंदगी पटरी पर आने लगी थी। 90 के दशक के शुरू में मुंबई आने के बाद जब उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी शुरू की तो उन्हें आसानी से स्वीकार नहीं किया गया। कहीं ठेठ यूपी कस्बाई अंदाज पर तो कभी चेहरे - मोहरे को लेकर।
राजू ने न कभी बॉडी शेमिंग की और न फूहड़ता…
- श्रद्धांजलि
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- 21 Sep, 2022

कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को कॉमेडी का शहंशाह क्यों कहा जाता है? आख़िर उनकी कॉमेडी की खासियत क्या है?
अब वो गीतकार मित्र भी कई फिल्मों के लिए गीत लिख चुके हैं। जगह बना चुके हैं। नाम है वीरेंद्र वत्स। राजू श्रीवास्तव का नाम तो हम सभी 90 के दशक में सुन चुके थे। वह हर बार मुंबई से लौटने के बाद जिस तरह उनकी चर्चा करते, उससे हम उनके बारे में काफी कुछ जानने लगे थे। उनके खासे संघर्ष वाली कहानियाँ भी हमने सुनीं। फाकेमस्ती वाले शुरुआती स्ट्रगल के बारे में जाना। हालाँकि ये संघर्ष रंग लाने लगा और लोग उनकी प्रतिभा के कायल होने लगे।