लखनऊ में हमारे मित्र रहते हैं, जो गीतकार हैं। 90 के दशक में मुंबई की फ़िल्मी दुनिया में संघर्ष कर रहे थे। खुद पत्रकार थे लेकिन साल में कई बार संभावनाएँ तलाशने मुंबई जाते रहते थे। वह अक्सर मुंबई जाकर राजू श्रीवास्तव के घर ठहरते या फिर उनसे मुलाकात जरूर करते। तब तक राजू की जिंदगी पटरी पर आने लगी थी। 90 के दशक के शुरू में मुंबई आने के बाद जब उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी शुरू की तो उन्हें आसानी से स्वीकार नहीं किया गया। कहीं ठेठ यूपी कस्बाई अंदाज पर तो कभी चेहरे - मोहरे को लेकर।