मंगलेश डबराल के साथ एक और पुराना सहृदय रचनाकार साथी जाता रहा। साल 1948 में टिहरी के काफलपानी गांव में जन्मे मंगलेश जी की शिक्षा देहरादून में हुई। वै दैनिक जनसत्ता से लेकर भोपाल भारत भवन की पत्रिका पूर्वग्रह तक अनेक प्रतिष्ठित हिंदी प्रकाशनों से जुड़े रहे। साहित्य अकादमी से सम्मानित हुए, लेकिन सदा बेहद विनम्र और कमगो रहे।
दबावों और तनावों के बाद भी बुनियादी उसूलों पर जमे रहे मंगलेश
- श्रद्धांजलि
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- 10 Dec, 2020

साल 1948 में टिहरी के काफलपानी गांव में जन्मे मंगलेश जी की शिक्षा देहरादून में हुई। वै दैनिक जनसत्ता से लेकर भोपाल भारत भवन की पत्रिका पूर्वग्रह तक अनेक प्रतिष्ठित हिंदी प्रकाशनों से जुड़े रहे।
वे कम बोलते थे, आदतन। पर मोटे चश्मे के पीछे उनकी बड़ी-बड़ी खामोश आंखें बहुत कुछ कहती थीं। उन्होंने हिंदी साहित्यकारों, पत्रकारों, राजनैतिक दलों के लोगों से अपने सहज और घनिष्ठ रिश्तों के बावजूद एक ग्रामीण पहाड़ी की तरह हमेशा अपना आत्मसम्मान सर्वोपरि रखा। अपने बुनियादी उसूलों पर अनेक दबावों और तनावों के बाद भी जमे रहे। कविता में भी, जीवन में भी। पहाड़ी मन को थामना आसान नहीं। उनके ही शब्दों में :