कमाल ख़ान के जाने के बाद एक मित्र ने सुबह कहा कि कमाल के बिना लखनऊ की कल्पना नहीं की जा सकती। यह बात पत्रकारिता के संदर्भ में थी और ये सही है कि कमाल के बिना लखनऊ ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश की कल्पना नहीं की जा सकती। राजनीति, संस्कृति और समाज हर विषय पर कमाल बोलते तो अपनी अलग छाप छोड़ जाते। एक अनुभवी, अध्ययनशील, गंभीर, विनोदपूर्ण और मंझे हुए पत्रकार थे कमाल ख़ान।
अनुभवी, गंभीर और मंझे हुए पत्रकार थे कमाल ख़ान
- श्रद्धांजलि
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- 15 Jan, 2022

कमाल ख़ान को सही श्रद्धांजलि यही होगी कि पतन के इस दौर में कुछ युवा पत्रकार उस संयम, संजीदगी, और गहराई को स्क्रीन पर वापस ला सकें।
गुरुवार शाम को एनडीटीवी पर समाचार कार्यक्रम किया तो किसी को एहसास नहीं था कि कुछ घंटों बाद वो दुनिया को अलविदा कहने वाले हैं।
एनडीटीवी इंडिया में करीब 25 साल से काम कर रहे कमाल ने शुक्रवार सुबह अचानक सीने में दर्द की शिकायत की और फिर उनकी हृदय गति रुक गई। वो 61 साल के थे लेकिन किसी 40 साल के व्यक्ति जैसे ही फिट लगते थे। इसीलिए परिवारजनों के साथ उनके दोस्तों को भी चुस्त-दुरस्त कमाल के इस असमय निधन पर भरोसा नहीं हो रहा।