कमाल ख़ान के जाने के बाद एक मित्र ने सुबह कहा कि कमाल के बिना लखनऊ की कल्पना नहीं की जा सकती। यह बात पत्रकारिता के संदर्भ में थी और ये सही है कि कमाल के बिना लखनऊ ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश की कल्पना नहीं की जा सकती। राजनीति, संस्कृति और समाज हर विषय पर कमाल बोलते तो अपनी अलग छाप छोड़ जाते। एक अनुभवी, अध्ययनशील, गंभीर, विनोदपूर्ण और मंझे हुए पत्रकार थे कमाल ख़ान।