उत्तर-पूर्व के राज्यों के स्थानीय निवासियों में अपनी पहचान को बचाने की जो चिंता है उसकी वजह से हमेशा 'स्थानीय बनाम बाहरी' के टकराव की नौबत आती रहती है। मेघालय में समय-समय पर इसी बात को लेकर जातीय दंगे होते रहे हैं। हालात तब और बिगड़ जाते हैं जब ऐसे मुद्दों को संवाद के ज़रिये हल करने की जगह राजनीति करने की कोशिश की जाती है। राज्य के अल्पसंख्यक बंगालियों के ख़िलाफ़ स्थानीय खासी लोगों की नाराज़गी को समझने के लिए ज़मीनी हक़ीक़त को समझना ज़रूरी है।
मेघालय में खासी छात्र संघ के निशाने पर क्यों है बंगाली समुदाय?
- मेघालय
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- 24 Oct, 2020

मेघालय में प्रदर्शन असम और मिज़ोरम के बीच अंतरराज्यीय सीमा पर तनाव के समय हुआ है। मिज़ोरम नागरिक समाज समूहों ने दावा किया है कि ‘अवैध बांग्लादेशी’ मिज़ोरम के निवासियों के लिए समस्याएँ पैदा करते हैं। थबाह ने कहा कि केएसयू ने ‘अवैध बांग्लादेशियों के ख़िलाफ़ मिज़ो समुदाय के साथ एकजुटता’ व्यक्त की है।
बाहरी लोगों द्वारा कथित भड़काऊ कृत्यों के मुद्दे पर मेघालय के स्थानीय खासी समुदाय और अल्पसंख्यक बंगालियों के बीच तनाव का वातावरण निर्मित हो गया है और हिंसा की आशंका को देखते हुए शिलांग में सत्ता के गलियारों में ख़तरे की घंटी बज गई है।
संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने जनता से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। संगमा ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के साथ संवाद कर रही है कि क़ानून-व्यवस्था की स्थिति भंग न हो। उन्होंने कहा, ‘सभी पक्षों के साथ बातचीत करके सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी।’ संगमा ने कहा कि इचामाती की घटना को लेकर कुछ महीने पहले तनाव पैदा हो गया था लेकिन ग़लतफहमी को दूर करने के लिए उनकी सरकार की तरफ़ से ठोस पहल की गई।