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फ़ोटो साभार: यू-ट्यूब/ज़ी न्यूज़

किसान आंदोलन को खालिस्तान से जोड़ने वाले वीडियो को हटाए ज़ी न्यूज़: NBDSA 

देश में टीवी न्यूज़ चैनलों के स्वनियमन के लिए गठित निजी और स्वैच्छिक संस्था एनबीडीएसए ने कहा है कि किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग में ज़ी न्यूज़ ने मीडिया इथिक्स यानी आचार संहिता का उल्लंघन किया है। इसने 19 नवंबर को अपने आदेश में कहा है कि ज़ी न्यूज़ के वे तीन वीडियो आपत्तिजनक हैं जिनमें किसान आंदोलन को खालिस्तानियों से जोड़ा गया था।

एनबीडीएसए यानी न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने यह भी पाया कि ज़ी न्यूज़ ने झूठी रिपोर्ट दी थी कि लाल क़िले से भारतीय ध्वज हटा दिया गया था। एनबीडीएसए ने ज़ी न्यूज़ को उन प्रसारणों के वीडियो को तुरंत हटाने का निर्देश दिया है। उसने कहा है कि ये वीडियो यदि अभी भी चैनल की वेबसाइट, यूट्यूब, या किसी अन्य लिंक पर उपलब्ध हैं तो उन्हें हटाया जाए। एनबीडीएसए ने कहा है कि 7 दिनों के भीतर चैनल इसकी पुष्टि करे।

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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता में एनबीडीएसए काम कर रहा है। प्राधिकरण ने यह आदेश ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रसारित किसान आंदोलन से संबंधित दो कार्यक्रमों के संबंध में इंद्रजीत घोरपड़े द्वारा दायर एक शिकायत पर दिया है।

ज़ी न्यूज़ ने दोनों कार्यक्रम इसी साल 19 जनवरी और 20 जनवरी को प्रसारित किए थे। 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार उन कार्यक्रमों का शीर्षक "ताल ठोक के: खालिस्तान से कब सावधान होगा किसान?" और "ताल ठोक के: नहीं माने किसान तो क्या गणतंत्र दिवस पर होगा 'गृह युद्ध'?"

एनडीबीएसए को दी गई शिकायत में कहा गया है कि कार्यक्रम दर्शकों के बीच खौफ और संकट पैदा करने और राष्ट्रीय संस्थानों में जनता के विश्वास को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।

ज़ी न्यूज़ के एक और कार्यक्रम के संबंध में एनबीडीएसए को शिकायत की गई है। इसमें कहा गया है कि एंकर ने बार-बार कहा कि विरोध करने वाले किसानों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर लाल क़िले से भारत का राष्ट्रीय ध्वज हटा दिया और इसकी जगह पर खालसा झंडा फहराया।

ज़ी न्यूज़ की जिस रिपोर्टिंग को लेकर यह आदेश आया है वह तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में 26 जनवरी को प्रदर्शन को लेकर है। तब किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उस दौरान हिंसा हुई थी और लाल क़िले पर एक झंडा फहरा दिया गया था। 

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बता दें कि ज़ी न्यूज़ ने सभी आरोपों का खंडन किया और इस तरह के आरोपों को पूरी तरह से झूठे व गलत व्याख्या क़रार दिया। उन्होंने तर्क दिया कि पहले जिन दो कार्यक्रमों पर आरोप लगाए गए हैं उनमें किसानों के विरोध में खालिस्तानी तत्वों की भागीदारी से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ पैनल बहस शामिल थी। इसने यह भी कहा कि तीसरा कार्यक्रम 26 जनवरी को लाल क़िले से लाइव प्रसारण से संबंधित था जिसमें कुछ लोगों ने लाल क़िले पर किसान संघ का झंडा फहराया।

चैनल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि 'एक जिम्मेदार समाचार चैनल के रूप में हमने हमेशा इस देश के किसानों के मुद्दों को उठाया है और विरोध करने वाले किसानों के हित में कार्यक्रम थे, ताकि देश विरोधी तत्व इसका फायदा न उठा सकें।'

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इसने कहा कि वह कार्यक्रम एक सीधा प्रसारण था, एंकर ने चूक के कारण कहा कि भारतीय किसान संघ का झंडा राष्ट्रीय ध्वज को हटाने के बाद फहराया गया था। इसके साथ ही इसने कहा कि उसने विवादित लिंक को हटाकर तत्काल सही कर दिया था।

ज़ी न्यूज़ की सफ़ाई मिलने के बाद एनबीडीएसए ने अपना आदेश दिया। उसने उसके शीर्षकों, टैगलाइनों के उपयोग को खारिज कर दिया। उसने यह भी कहा है कि इसको लेकर अब दिशानिर्देश जारी किया जाएगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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