दिल्ली पुलिस ने शनिवार शाम को न्यूज पोर्टल द वायर के खिलाफ मेटा स्टोरीज को लेकर एफआईआर दर्ज की है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह एफआईआर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की शिकायत पर दर्ज की गई है। बीजेपी ने द वायर पर धोखाधड़ी, जालसाजी और "फर्जी कहानियां" प्रकाशित करने का आरोप लगाया है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अमित मालवीय ने शुक्रवार को कहा था कि वह कथित जालसाजी, मानहानि, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के लिए द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जा रहे हैं। मालवीय का यह बयान तब सामने आया था, जब न्यूज पोर्टल द वायर ने खुद पहल करते हुए तमाम मेटा स्टोरीज को सही न पाए जाने पर खेद जताते हुए वापस ले लिया था। जाने-माने पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन द वायर के प्रमुख हैं।
मालवीय ने आरोप लगाया कि मेटा द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार करने के बावजूद कि रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेजों का हवाला दिया गया था, द वायर ने फॉलो-अप रिपोर्ट प्रकाशित कीं।
अमित मालवीय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि द वायर और कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने मेरी प्रतिष्ठा को खराब करने के इरादे से एक आपराधिक साजिश रची, जानबूझकर मेरा नाम एक कहानी में डाला, और मुझे फंसाने के लिए गढ़े हुए सबूत बनाए गए... नतीजतन, मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।
द वायर न्यूज वेबसाइट ने बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उस रिपोर्ट के अनुसार इंस्टाग्राम एकाउंट की कुछ पोस्ट्स को बिना किसी वेरिफिकेशन के केवल इस वजह से हटाने का दावा किया गया कि इसे अमित मालवीय ने रिपोर्ट किया था। द वायर की रिपोर्ट में कहा गया था कि मेटा के विवादित क्रॉसचेक प्रोग्राम के तहत मालवीय को विशेषाधिकार प्राप्त था। मालवीय को यह अधिकार था कि अगर कोई बात या सामग्री बीजेपी या सरकार विरोधी है तो उसे वो हटा सकते थे। साथ ही उन्हें यह भी अधिकार प्राप्त था कि अमित मालवीय इंस्टाग्राम पर नियम विरुद्ध कुछ भी प्रकाशित करें। हालांकि मेटा ने द वायर के इन आरोपों का खंडन किया था।
द वायर ने यह भी दावा किया कि उसकी रिपोर्ट एक कथित मेटा इनसाइडर से "सोर्स" किए गए दस्तावेज़ पर आधारित थी। हालाँकि, मेटा ने दस्तावेज़ को फर्जी कहा था।
द वायर का पक्ष
मेटा स्टोरीज विवाद पर द वायर ने 24 अक्टूबर 2022 को लिखा था - हमारी जांच, जो अभी चल ही रही है, हमें अब तक उन स्रोतों- हमारी रिपोर्टिंग टीम के एक सदस्य के अनुसार, जिनके साथ वे लंबे समय से संपर्क में रहे हैं- की प्रामाणिकता और नेकनीयती के बारे में कोई निर्णायक नजरिया तय करने की इजाज़त नहीं देती। हालांकि, रिपोर्टिंग के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री में कुछ विसंगतियां सामने आई हैं। हमारे जांचकर्ता कथित तौर पर *****@एफबी डॉट कॉम से भेजे गए ईमेल और उज्ज्वल कुमार (एक मेटा रिपोर्ट में बताए गए विशेषज्ञ, जिन्होंने हमें प्राप्त निष्कर्षों में से एक का समर्थन किया, लेकिन जो अब इस तरह का कोई ईमेल भेजने से स्पष्ट रूप से इनकार कर चुके हैं) से प्राप्त ईमेल को प्रमाणित करने में असमर्थ रहे हैं। द वायर ने लिखा - नतीजन, द वायर का मानना है कि ऐसे में इन रिपोर्ट्स को वापस लेना उपयुक्त होगा। हम अब भी पूरे मामले की समीक्षा कर रहे हैं, जिसमें यह संभावना भी शामिल है कि ऐसा जानबूझकर द वायर को गलत सूचना या धोखा देने के इरादे से किया गया था।
द वायर की इस पहल की काफी तारीफ हुई थी। क्योंकि सूचना गलत पाए जाने पर उसने खुद से सारी रिपोर्ट को हटा लिया था। लेकिन बीजेपी आईटी सेल चीफ जो अक्सर तमाम वजहों से चर्चा में रहते हैं, को द वायर के खिलाफ शिकायत करने का मौका मिल गया।
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