रवीश कुमार कहते हैं कि एक समय उनके पास पैसे नहीं थे। वह काम की तलाश में थे। लेकिन जब एनडीडीवी में नौकरी मिली तो रवीश कुमार घबरा गए थे। वह तब क्यों घबरा गए थे? देखिए आशुतोष और शीतल पी सिंह की रवीश कुमार के साथ बातचीत का अंश। सत्य हिंदी पर।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।