रवीश कुमार कहते हैं कि एक समय उनके पास पैसे नहीं थे। वह काम की तलाश में थे। लेकिन जब एनडीडीवी में नौकरी मिली तो रवीश कुमार घबरा गए थे। वह तब क्यों घबरा गए थे? देखिए आशुतोष और शीतल पी सिंह की रवीश कुमार के साथ बातचीत का अंश। सत्य हिंदी पर।
रवीश कुमार कहते हैं कि जाति के आधार पर नफ़रत की सामाजिक मान्यता है। रवीश क्यों कहते हैं कि जो समाज जातिगत नफ़रतों को लेकर बड़ा हो रहा हो वह सेक्युलर नहीं हो सकता है? क्या इसीलिए उन्होंने अपने नाम से सरनेम हटा लिया? देखिए आशुतोष और शीतल पी सिंह की रवीश कुमार से बातचीत।
रवीश कुमार कहते हैं कि जब उन्हें पहली बार रिपोर्टिंग की ज़िम्मेदारी दी गई तो वह डर गए थे। रिपोर्टिंग से क्यों डर लगता था उन्हें? लेकिन जिस चीज़ से डरते थे उसी को ताक़त बना कर वह रवीश कुमार बन गए।