आज के मीडिया को कैसे देखा जाए? यदि इस सवाल का जवाब ढूँढना है तो डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर की पत्रिका से इसे समझना बेहद आसान है। आज के दिन ही 100 साल पहले डॉ. आम्बेडकर ने एक पाक्षिक समाचार पत्र शुरू किया था 'मूकनायक'। इसके पहले अंक  (31 जनवरी 1920) में डॉ. आम्बेडकर ने संपादकीय में जो लिखा था, उसको आज के दौर के मीडिया के परिप्रेक्ष्य में देखें तो स्थितियाँ क़रीब-क़रीब कुछ वैसी ही दिखाई देने लगती हैं। आज का मीडिया हमें कुछ उस तरह ही काम करता दिखाई पड़ने लगता है जिसको पहचानते हुए डॉ. आम्बेडकर ने 'मूकनायक' की शुरुआत की थी।