loader

अडानी को इस डील की सेबी से मंजूरी लेनी होगी: NDTV

नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के जबरन अधिग्रहण की खबरों के बीच एनडीटीवी ने कहा है कि अडानी समूह को इसके लिए बाजार नियामक एजेंसी सेबी से अनुमोदन की जरूरत होगी। अडानी समूह द्वारा एनडीटीवी के कथित अधिग्रहण की कोशिशों पर देश में चिन्ता जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस बारे में लिख रहे हैं। इसे आजाद प्रेस का मुंह बंद करने की साजिश बताया गया है। बहुत स्पष्ट संकेत हैं कि एनडीटीवी समूह इस सौदे के खिलाफ है और वो खुलकर खड़ा हो गया है।
एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह को एनडीटीवी खरीदने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से अनुमोदन की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके संस्थापक और मौजूदा मालिक प्रणय रॉय और राधिका रॉय को दो साल के लिए 26 नवंबर से शेयरों में कारोबार करने से रोक दिया गया है। एनडीटीवी ने गुरुवार को एक्सचेंज फाइलिंग में यह बात खुद कही।

ताजा ख़बरें
अडानी समूह ने मंगलवार को एनडीटीवी में 29.2% के अप्रत्यक्ष अधिग्रहण की घोषणा की थी, साथ ही खुले बाजार से 26% खरीदने की पेशकश की। एनडीटीवी ने बाद में कहा कि कंपनी और उसके संस्थापकों को न तो इस सौदे की जानकारी थी और न ही उन्होंने इस हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सहमति दी थी।

एनडीटीवी की ओर से दी गई जानकारी इस अधिग्रहण की लड़ाई में नवीनतम मोड़ का प्रतीक है। क्योंकि रॉय इस सौदे पर जरा भी रजामंद नहीं लग रहे हैं। कुछ सांसदों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि चूंकि एनडीटीवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की खबरों को आलोचनात्मक नजरिए से पेश करता है, इसलिए सरकार को यह चैनल पसंद नहीं है। ऐसे में अडानी और प्रधानमंत्री के दोस्ताना संबंधों को देखते हुए अडानी समूह की यह कोशिश खतरनाक है।

अडानी समूह के एक प्रवक्ता ने टिप्पणी के लिए ईमेल के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

मीडिया से और खबरें

NDTV के शेयरों की कीमत करीब 329 मिलियन डॉलर है, जो इस साल 250 फीसदी से ज्यादा चढ़कर टूट चुकी है। स्टॉक ने गुरुवार को दूसरे सीधे सत्र के लिए 5% की छलांग की दैनिक सीमा को पार किया, जो पिछली बार 2008 में देखे गए स्तर को छू रहा था। वर्तमान में यह 407.6 रुपये ($ 5.1) पर कारोबार कर रहा है, जो अदानी की खुली पेशकश की कीमत से लगभग 39% अधिक है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

मीडिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें