महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के रवैये से जो राजनीतिक संकट खड़ा होता दिख रहा था, वह अब टल गया है। अब वहाँ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान मंडल का सदस्य बनने के लिए मनोनयन के ज़रिए विधान परिषद में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। चुनाव आयोग ने अब वहाँ राज्य विधान परिषद की नौ रिक्त सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव 21 मई को कराने का एलान कर दिया है। इन चुनावों के ज़रिए मुख्यमंत्री ठाकरे का विधान परिषद का सदस्य बनने का रास्ता साफ़ हो गया है। अब वह इस उच्च सदन के लिए निर्वाचित होकर छह महीने की निर्धारित समय सीमा में विधान मंडल का सदस्य बनने की संवैधानिक शर्त पूरी कर सकेंगे।

महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के रवैये से जो राजनीतिक संकट खड़ा होता दिख रहा था, वह अब टल गया है। किसके इशारे पर चुनाव कराने को तैयार हुए राज्यपाल और चुनाव आयोग?
इस ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम से एक बार फिर साबित हुआ कि हमारे राज्यपालों की नश्वर काया भले ही राजभवनों में विराजती हो मगर उनका विवेक दिल्ली में रहता है जिसे उन्हें राज्यपाल के ओहदे पर नियुक्त होते ही दिल्ली में अपनी नियुक्ति का फ़ैसला करने वाले के पास जमा कराना पड़ता है।