शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठा भले ही कांग्रेस से निकलकर अपनी अलग से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना ली, लेकिन वे राजनीति में कांग्रेसी संस्कृति के समर्थक रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का कद ऐतिहासिक रूप से छोटा होने पर उन्होंने चिंता जताई थी। और 2019 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आये और प्रदेश में नया राजनीतिक समीकरण बनने लगा तो भी उन्होंने यह बात दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र ही नहीं, देश को भी कांग्रेस संस्कृति वाली राजनीति की ज़रूरत है क्योंकि इसी के माध्यम से विविधता से भरे देश की एकता को मज़बूती प्रदान की जा सकती है। लेकिन क्या कांग्रेसी राजनीति के समर्थक शरद पवार किसी नए राजनीतिक समीकरण की जोड़ तोड़ में लगे हुए हैं?