‘शिवसेना’ नाम और चुनाव चिह्न खरीदने के बाद भारतीय जनता पार्टी की कमली पैर का घुंघरू टूटने तक नाच रही है। मिंधे गुट से ज्यादा खुश भारतीय जनता पार्टी नजर आ रही है। किसी दुकान से चना-मूंगफली खरीद ली गई हो, उस तरह से शिवसेना नाम और चुनाव चिह्न के मामले का ‘फैसला’ भी खरीद लिया गया है, अब यह बात छिपी नहीं है। किसी प्रॉपर्टी का सौदा किया जाए, उस तरह से चुनाव आयोग ने ठाकरे द्वारा स्थापित, जतन की गई शिवसेना को दिल्ली के तलवे चाटने के लिए मिंधों के हाथ दे दी। गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र आए और उन्होंने मिंधों को शिवसेना-धनुष बाण मिलने पर खुशी व्यक्त की। मिंधों को धनुष-बाण का चिह्न मिला, वह इन्हीं अमित शाह की मेहरबानी से, क्या अब यह छिपा है? ये इंसान महाराष्ट्र और मराठी लोगों का नंबर एक शत्रु है। इसलिए जो भी श्रीमान शाह के पीछे पड़कर अपनी राजनीतिक खुजली मिटाना चाहते हैं, उन सभी को क्या महाराष्ट्र का दुश्मन मानना पड़ेगा।
महाराष्ट्र, मराठों का नंबर एक शत्रु हैं अमित शाह: सामना
- महाराष्ट्र
- |
- 20 Feb, 2023
चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का नाम और उसके चुनाव चिह्न उद्धव ठाकरे खेमे से छीन लिए जाने पर पार्टी के मुखपत्र सामना में संपादकीय छपा है। जानिए इसमें अमित शाह को क्यों महाराष्ट्र का दुश्मन बताया गया है?

छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान के लिए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। उस स्वराज्य की जड़ खोदने आए हर ‘शाह’ की अंतड़ी छत्रपति और उनके मावलों ने निकाल ली। छत्रपति का वही विचार लेकर महाराष्ट्र आज भी ज़िंदा है और धधक रहा है। बेईमान और गद्दारों को शिवाजी महाराज ने कड़ा सबक़ सिखाया, इस इतिहास को कोई नहीं भूल सकता। उसी शिवराय की विरासत को शिवसेना आगे बढ़ा रही है।