जांच भी आप करो, आरोप भी आप लगाओ और फ़ैसला भी आप ही सुनाओ! तो अदालतें किसलिए बनी हैं? यह कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार है, जो उसने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपब्लिक चैनल की रिपोर्टिंग के तरीके को लेकर सुनाई है।
रिपब्लिक को फटकार, चीख-चीखकर हत्या कैसे बता सकते हैं?
- महाराष्ट्र
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- 22 Oct, 2020

अदालत ने कहा कि खोजी पत्रकारिता करने का अधिकार सबको है लेकिन वह करते हुए नियम-क़ायदों का एक दायरा है जिसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि खोजी पत्रकारिता करने का अधिकार सबको है लेकिन वह करते हुए नियम-क़ायदों का एक दायरा है जिसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई?, इस मामले की जांच जब चल रही थी तो आप अपने चैनल पर चिल्ला-चिल्लाकर उसे हत्या कैसे करार दे रहे थे। किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और किसकी नहीं, इस बात को लेकर आप लोगों से राय या जनमत कैसे मांग रहे थे? क्या यह सब आपके अधिकार क्षेत्र की बात है?’