महाराष्ट्र में अगले साल मार्च तक विकास का कोई भी नया काम शुरू नहीं होगा। साथ ही नौकरियों में भी कोई नई भर्ती नहीं की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार ने 2020-21 के लिए विकास कार्यों में 67 फ़ीसदी कटौती की घोषणा की है और 1960 में राज्य बनने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है।
दो महीने पहले ही महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने 4.34 लाख करोड़ का बजट पेश किया था जो पिछले बजट से 4.1 फ़ीसदी ज़्यादा था लेकिन कोरोना संकट ने राज्य की कमर तोड़कर रख दी है।
महाराष्ट्र कोरोना वायरस के संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित है। अब तक राज्य में कोरोना संक्रमण के लगभग 14, 541 मामले सामने आ चुके हैं और 583 लोगों की जान जा चुकी है। महाराष्ट्र में भी लाखों लोगों को रोज़गार देने वाली मुंबई की हालत बेहद ख़राब है।
राज्य सरकार के वित्त मंत्री अजित पवार ने केंद्र सरकार से 50 हज़ार करोड़ रुपये का पैकेज देने की मांग की थी लेकिन अभी तक केंद्र की ओर से इस बारे में कोई वादा नहीं किया गया है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि सभी विभागों के सचिवों से वर्तमान में चल रही योजनाओं की समीक्षा करने के लिए कहा गया है और जो बहुत ज़रूरी योजना हो, उसे प्राथमिकता देने की बात कही गयी है। अधिकारी के मुताबिक़, जिन योजनाओं को नज़रअंदाज किया जा सकता है, उन्हें रद्द कर दिया जाएगा।
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