केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही दावा करें कि दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आन्दोलन में सिर्फ पंजाब के किसान हैं और देश के बाकी लोग उसके कृषि क़ानून 2020 से खुश हैं, दूसरे राज्यों में भी इस आन्दोलन के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। महाराष्ट्र में 1,200 किसानों और 90 गाड़ियों का एक काफ़िला नाशिक से मुंबई के लिए कूच कर चुका है।
नाशिक-मुंबई मार्च
दिल्ली के पास आन्दोलन चला रहे किसान संगठनों की शीर्ष संस्था संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर ऑल इंडिया किसान सभा ने नाशिक से मुंबई का मार्च निकाला है। मुंबई के आज़ाद मैदान में 24 से 26 जनवरी तक किसान धरने पर बैठेंगे। इसमें राज्य के दूसरे इलाक़ों से भी बड़ी तादाद में किसानों के आने की संभावना है।
इन किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल 25 जनवरी को राजभवन जाकर राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपेगा। गणतंत्र दिवस के मौके पर आज़ाद मैदान में ही झंडा फहराया जाएगा।
'कृषि क़ानून रद्द हो'
ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक धवले ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "महाराष्ट्र का यह सम्मेलन कृषि क़ानूनों को खत्म कराने के लिए दिल्ली के पास चल रहे किसान आन्दोलन को समर्थन देने के लिए है।"
आज़ाद मैदान में किसान सभा होगी, जिसमें महा विकास अघाड़ी के नेता भाग लेगें। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष व राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे इसे संबोधित करेंगे। इसके अलावा वामपंथी दलों के लोग भी इसमें शिरकत करेंगे। धवले ने कहा,
“
"हमारी मुख्य माँगे हैं-तीन कृषि क़ानूनों को रद्द किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य को बरक़रार रखने से जुड़ा क़ानून पारित कराया जाए। हम इसके अलावा चार श्रम क़ानूनों को रद्द करने और महात्मा फुले कृषि ऋण माफ़ी योजना लागू करने की मांग भी करेंगे।"
अशोक धवले, राष्ट्रीय प्रवक्ता, ऑल इंडिया किसान सभा
बता दें कि किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के पास ट्रैक्टर परेड निकालने का कार्यक्रम रखा है। इसमें एक लाख से ज़्यादा ट्रैक्टरों के भाग लेने की संभावना है। पहले दिल्ली सरकार ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया था और इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट के इनकार करने के बाद शनिवार को दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर रैली की अनुमति दे दी है, लेकिन उसका रूट तय कर दिया है।
हरियाणा बीजेपी के नेता परेशान
इसी तरह बीजेपी भले कहे कि यह आन्दोलन पंजाब तक सीमित है, खुद उसके हरियाणा के नेता परेशान हैं। बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मी कांता चावला ने शनिवार को कहा कि आंदोलन को इतने लंबे समय तक जारी रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और यदि प्रधानमंत्री चाहते तो एक दिन में समाधान कर सकते हैं। पंजाब बीजेपी से पहले हरियाणा में भी ऐसी हलचल थी और इस मामले में अमित शाह को बैठक करनी पड़ी थी।
बीजेपी में बड़ी बेचैनी की एक और वजह है। वह यह कि अगले महीने 15 तारीख़ को ही निकाय चुनाव होने वाले हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि किसानों के ग़ुस्से के कारण कई बीजेपी नेता चुनाव लड़ने को अनिच्छुक हैं। हाल में राज्य में बीजेपी के कई नेताओं के घरों के बाहर प्रदर्शन हुए हैं। जब कभी वे घरों से बाहर निकले और उन्होंने सार्वजनिक सभाएँ कीं उन्हें प्रदर्शन का सामना करना पड़ा।
अपनी राय बतायें