महाराष्ट्र में अब कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ चलीं। उनको लेकर ऐसे ऐसे कयास लगाए गए कि उन्हें सफाई देनी पड़ गई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने गुरुवार को महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी सरकार को समर्थन देने की ख़बरों को खारिज कर दिया। उन्होंने इस तरह की ख़बरों को अफवाह क़रार दिया।
दरअसल, अशोक चव्हाण के बारे में तब अलग-अलग तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं जब अजित पवार द्वारा बगावत करने और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के बाद राज्य में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी की गुरुवार दोपहर को बैठक हुई। कांग्रेस नेताओं को राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के मुद्दे पर भी चर्चा करनी थी। कांग्रेस समिति की बैठक से पहले ही चव्हाण वहाँ से निकल गए तो उनके बारे में अटकलें लगाई जाने लगीं।
इन अटकलों को शिवसेना (शिंदे गुट) विधायक संजय शिरसाट के एक बयान से भी हवा मिली। उन्होंने दावा किया कि एनसीपी और सेना की तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस भी बंट सकती है। एएनआई से उन्होंने कहा, 'कई कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ना चाहते हैं। मैंने सुना है कि 16-17 विधायक जाना चाहते हैं, वे आपस में बहुमत बनाने का इंतज़ार कर रहे हैं। वे जल्द ही निर्णय लेंगे और कांग्रेस भी विभाजित हो जाएगी।'
लेकिन चव्हाण ने उन अटकलों को खारिज कर दिया। एएनआई ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के हवाले से कहा, 'मैंने कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में भाग लिया। मुझे नहीं पता कि मेरे बारे में अफवाहें कौन फैला रहा है।' चव्हाण ने कहा कि उनकी कुछ पूर्व निर्धारित बैठकें थीं, इसलिए वह कांग्रेस समिति की बैठक से पहले ही निकल गए।
मनसे नेता उद्धव टीम से क्यों मिले?
इस बीच एक अन्य राजनीतिक घटनाक्रम में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे नेता अभिजीत पानसे ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत से 'सामना' कार्यालय में मुलाकात की। पानसे ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। ईटीवी ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि बैठक के बाद संजय राउत उपनगरीय बांद्रा में स्थित 'मातोश्री' गए, जो कि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे का आवास है जबकि पानसे गाड़ी से मनसे प्रमुख राज ठाकरे के आवास 'शिवतीर्थ' गए।
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