दिल्ली में आज एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद शरद पवार ने अजित पवार के आरोपों और दावों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष हूं। एक दिन पहले ही अजित पवार ने खुद को पार्टी का नेता बताया था। पार्टी से बागी हो चुके भतीजे अजित पवार ने बुधवार को कहा था कि अब समय आ गया है कि उनके चाचा रिटायर हो जाएं और एनसीपी की कमान उन्हें सौंप दें। उम्र संबंधी अजित पवार के दावों पर शरद पवार ने जोरदार हमला किया और कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई 82 साल का है या 92 साल का।
अपने भतीजे की उम्र संबंधी टिप्पणी पर अब तक चुप रहे शरद पवार ने आज कहा कि चाहे किसी की कुछ भी उम्र हो, प्रभावशीलता सबसे महत्वपूर्ण बात है। उन्होंने दिल्ली में कहा, 'मैं अब भी प्रभावी हूं, चाहे मैं 82 का हूँ या 92 का'।
शरद पवार का यह जवाब उस मामले में था जब बुधवार को अजित पवार ने कहा था, 'हर पेशे में सेवानिवृत्ति की एक विशेष उम्र होती है। अब आप 83 वर्ष के हैं, आप उस दिन वसंत राव दादा के स्मारक पर गए थे। क्या आप किसी दिन रुकेंगे या नहीं?' उन्होंने बीजेपी की तारीफ़ करते हुए कहा कि 'बीजेपी में 75 साल की उम्र में नेता रिटायर हो जाते हैं। आईएएस अफ़सर 60 में रिटायर हो जाते हैं।'
शरद पवार का यह बयान दिल्ली में जिस बैठक के बाद आया उसकी वैधता पर अजित पवार के खेमे ने सवाल उठाया है। इसने बैठक के बाद एक बयान जारी किया और कहा कि इसकी 'कोई क़ानूनी वैधता नहीं है' क्योंकि चुनाव आयोग ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि किस गुट को एनसीपी के नाम और प्रतीक का उपयोग करने का अधिकार है।
अजित पवार ने बुधवार को चौंकाने वाले बयान में अपने चाचा शरद पवार पर एक के बाद एक कई हमले किए थे। उन्होंने बार-बार शरद पवार को सम्मान देने की बात कहते हुए उनको चुभने वाले बयान दिये।
अपने चाचा से बगावत करने के आरोपों का सामना कर रहे अजित पवार ने 1978 में पार्टी टूटने की घटना को याद किया और संकेतों में शरद पवार को यह संदेश देने की कोशिश की कि उन्होंने भी तो पार्टी तोड़ी थी, वह इसपर सवाल न उठाएँ।
शरद पवार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एनसीपी आपके नेतृत्व में आगे नहीं बढ़ पाई। उन्होंने सवाल किया कि क्या एनसीपी महाराष्ट्र से कभी आगे ठीक से बढ़ पाई।
अजित ने अपने बयान में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की और इसके लिए अपने चाचा का आशीर्वाद मांगा। उन्होंने कहा था, 'मुझे आपसे सारा प्यार मिला। मुझे आपसे बहुत कुछ मिला और मैं पांच बार डिप्टी सीएम बना। यह एक रिकॉर्ड है। लेकिन मैं डिप्टी सीएम ही बनकर रह गया हूं। मैं भी राज्य का नेतृत्व करना और मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।'
उनकी टिप्पणियों ने उनके प्रमुख समर्थकों को भी असहज कर दिया था क्योंकि अब तक जो राजनीतिक विभाजन था उसे व्यक्तिगत क्षेत्र में ला दिया गया था। इस पर सुप्रिया सुले की तीखी प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने तब कहा था कि उनका राजनीतिक रुख चाहे जो भी हो, अजित पवार उनके बड़े भाई बने रहेंगे।
अपनी राय बतायें