महाराष्ट्र में क्या प्रेस की आज़ादी पर कुठाराघात हो रहा है? क्या मीडिया कर्मियों पर उद्धव ठाकरे सरकार नाजायज दबाव डाल रही है? या क्या लोगों की सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति पर भी पहरा लगा दिया गया है? ये सारे सवाल एकाएक उस समय चर्चा में आ गए जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और विरोधी पक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस आशय का एक ज्ञापन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपा और उनसे माँग की कि वे राज्य सरकार को इस बारे में निर्देश दें। फडणवीस के इस ज्ञापन के बाद सत्ताधारी दल के नेताओं की तरफ़ से ही नहीं, मीडिया कर्मियों की भी बयानबाज़ी शुरू हो गयी।
अर्णब मामला: महाराष्ट्र में मीडिया की आज़ादी पर कौन लगा रहा है अंकुश?
- महाराष्ट्र
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- 29 Apr, 2020

महाराष्ट्र में क्या प्रेस की आज़ादी पर कुठाराघात हो रहा है? क्या मीडिया कर्मियों पर उद्धव ठाकरे सरकार नाजायज दबाव डाल रही है? या क्या लोगों की सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति पर भी पहरा लगा दिया गया है?
दरअसल, रिपब्लिक टेलीविजन चैनल के मालिक अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस द्वारा की गयी पूछताछ को ज्ञापन देने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया के सामने प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार मीडिया पर दबाव बना रही है, लिखने और बोलने पर पाबंदी लगा रही है, एक तरह से प्रदेश में यह अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति है। छोटे से गुनाह के लिए पत्रकार से 12 घंटे पुलिस पूछताछ कर रही है। सोशल मीडिया पर लिखने पर उनके ख़िलाफ़ मुक़दमे दायर किये जा रहे हैं’।