शिवसेना नाम और धनुष-तीर निशान के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए। उन्होंने अदालत में कैविएट दायर की है। शिंदे खेमे ने इस कैविएट से अदालत को यह बताया है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव आयोग के फ़ैसले को चुनौती दे सकते हैं। कैविएट में शिंदे ने अदालत से किसी भी आदेश को पारित करने से पहले महाराष्ट्र सरकार का पक्ष भी सुनने का आग्रह किया है।
शिंदे खेमे की ओर से ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने शनिवार को पार्टी की बैठक में कहा था कि वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उद्धव ने कहा था कि 'पीएम मोदी और उनके गुलाम चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और निशान हमसे छीना है'। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएं कि हमारा नाम और निशान चोरी कर लिया गया है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पार्टी का नाम शिवसेना और धनुष और तीर निशान एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को आवंटित किया है। इससे उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। उद्धव के पिता बाल ठाकरे ने 1966 में संगठन की स्थापना की थी।
चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने चुनाव और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ने कहा था कि 'गद्दार हमेशा गद्दार' ही रहता है। चुनाव आयोग का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या है।'
उद्धव ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, वो लोकतंत्र के लिए घातक है, प्रधानमंत्री को अब लालकिले से घोषणा कर देनी चाहिए कि लोकतंत्र खत्म हो गया है।
इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने रविवार को बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि शिवसेना के नाम और 'धनुष और तीर' के निशान को 'खरीदने' के लिए 2,000 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।
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