देश में कथित तौर पर कोरोना वैक्सीन के कम पड़ने के आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच महाराष्ट्र ने कहा है कि मुंबई में 26 टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़े हैं। इसमें से 23 केंद्र नवी मुंबई क्षेत्र में हैं। उसने कहा है कि राज्य सरकार केंद्र से कोरोना के टीके की खेप का इंतज़ार कर रही है। इससे पहले महाराष्ट्र के पुणे, सतारा और पनवेल क्षेत्र में कोरोना वैक्सीन कम पड़ने की वजह से टीकाकरण केंद्रों को बंद किए जाने की रिपोर्टें आई हैं।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि सतारा, सांगली, पनवेल में टीकाकरण रुक गया है। सतारा ज़िला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय गौडा और पनवेल नगरपालिका के नोटिस में वैक्सीन के कम पड़ने के दावे किए गए हैं।
एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को ट्वीट किया कि 109 केंद्र आज बंद रहे क्योंकि उनके पास टीकों का कोई भंडार नहीं था। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'पुणे ज़िला ने आज 391 टीकाकरण केंद्रों में 55,539 व्यक्तियों का टीकाकरण किया। कई हज़ार लोग बिना टीकाकरण किए वापस चले गए क्योंकि टीके का स्टॉक ख़त्म हो गया।'
रिपोर्ट है कि शरद पवार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इस संबंध में बात की है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने भेदभाव का भी आरोप लगाया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार राजेश टोपे ने कहा कि ज़्यादा आबादी वाले महाराष्ट्र को 40 लाख वैक्सीन हर हफ्ते मिलनी चाहिए और 1.6 करोड़ हर महीने। उन्होंने कहा कि 'महाराष्ट्र में गुजरात से दोगुनी आबादी है। गुजरात को एक करोड़ डोज मिले हैं और हमें भी एक करोड़ ही।'
राजेश टोपे ने बुधवार को कहा था कि अब महाराष्ट्र के पास 14 लाख वैक्सीन के डोज बचे हैं जिसका मतलब है कि यह तीन दिन का स्टॉक है।
टोपे ने यह भी कहा था कि राज्य को हर हफ़्ते 40 लाख डोज चाहिए ताकि हर रोज़ 5 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके। उन्होंने कहा था कि केंद्र के साथ बैठक में उन्होंने टीके कम पड़ने की जानकारी दी थी।
वैक्सीन कम पड़ने के उनके बयान के बाद आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने आरोप लगाया कि कोरोना की ज़िम्मेदारी से बचने और वास्तविक स्थिति से ध्यान भटकाने के लिए ये बातें कही जा रही हैं। उन्होंने दावा किया था कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है।
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