मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में पहली बार कोर्ट ने एक साथ 31 लोगों को दोषी क़रार दिया है। आरक्षक भर्ती में फ़र्ज़ीवाड़े को लेकर भोपाल की स्पेशल कोर्ट ने 12 परीक्षार्थियों, उनकी जगह परीक्षा देने वाले 12 लोगों और सात दलालों को कसूरवार ठहराया है। कोर्ट सोमवार यानी 25 नवंबर को इनकी सज़ा का एलान करेगा। कोर्ट ने फ़िलहाल सभी को जेल भेज दिया है। बता दें कि व्यापमं से जुड़े 150 मामलों में से क़रीब ढाई हज़ार से ज़्यादा आरोपी हैं।
व्यापमं यानी व्यावसायिक परीक्षा मंडल की परीक्षाओं में गड़बड़झाला सबसे पहले आरक्षक भर्ती परीक्षाओं से ही सामने आया था। साल 2013 में मामला सामने आने के बाद एफ़आईआर की गई थी। जाँच करने पर एक के बाद एक दूसरी परीक्षाओं के फ़र्ज़ीवाड़े भी सामने आते चले गए थे। मध्य प्रदेश पुलिस ने कुल 150 मामले दर्ज किए थे। एसटीएफ़ ने आरोपियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड विधान की धारा 420, 419 और 120बी समेत अन्य धाराएँ लगाई थीं।
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज किए गए कई मामलों को बाद में सीबीआई को सौंपा गया। जुलाई 2015 से जाँच का ज़िम्मा सीबीआई के हाथों में है। सभी 150 मामलों में 143 प्रकरणों में चार्जशीट पेश की जा चुकी है, जबकि सात मामलों में जाँच जारी है। तमाम केसों में ढाई हज़ार से ज़्यादा आरोपी हैं। इनमें एक हज़ार के क़रीब परीक्षार्थी हैं, जिन्होंने गड़बड़ियाँ की हैं। व्यापमं से जुड़े संदिग्ध मौतों के 16 मामलों समेत कुल 20 मामलों में जाँच बंद कर दी गई है।
भोपाल ज़िला अदालत में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के विशेष जज एसबी साहू ने गुरुवार को 31 आरोपियों को दोषी क़रार दिया है। मुख्य परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देने वाले 12 दोषियों, 12 अन्य परीक्षार्थियों और सात एजेंटों को दोषी क़रार देते हुए कोर्ट ने जेल भेज दिया है। कोर्ट इन दोषियों को सोमवार 25 नवंबर को सज़ा सुनायेगा।
सात दर्जन से ज़्यादा गवाह और दस्तावेज़
आरक्षक भर्ती मामले में जिन 31 आरोपियों को दोषी क़रार दिया गया है, उन्हें लेकर कोर्ट में 90 गवाहों के बयान हुए। साढ़े चार सौ पेजों के दस्तावेज़ी सबूत पेश किए गए। जिन्हें दोषी क़रार देते हुए जेल भेजा गया है, उनमें ज़्यादातर भिंड, मुरैना, दतिया, ग्वालियर और भोपाल के हैं। दोषी क़रार दिए गए लोगों में कुछ यूपी से भी हैं।
सीबीआई की विशेष कोर्ट ने जिन 31 लोगों को सज़ा सुनाई हैं, उनमें 12 आरोपी रंगे हाथों धरे गये थे। घोटाला उजागर होने के पहले तक व्यापमं की परीक्षा के नियमों में फ़ॉर्म में धुंधली तसवीर होने पर अभ्यार्थी को परीक्षा से वंचित करने का प्रावधान नहीं था। आरोपियों ने इसी बात का फ़ायदा उठाया था। भोपाल और दतिया में परीक्षार्थियों की जगह दूसरे लोग परीक्षा देने पहुँचे थे। भनक लगने पर एसटीएफ़ ने ऐसे 12 लोगों को इस परीक्षा में मूल परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देते रंगे हाथों पकड़ लिया था। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर के अनुसार परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देने वाले दूसरे लोगों का रंगे हाथों पकड़ा जाना भी उन्हें दोषी क़रार दिये जाने का एक बड़ा आधार बना।
अन्य मामले में सात साल की जेल
सीबीआई की ही अन्य विशेष अदालत ने व्यापमं की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा - 2016 में फ़र्ज़ी परीक्षार्थी के तौर पर शामिल होने वाले आरोपी शिवरतन सिंह तोमर को 7 साल की जेल और 6 हज़ार रुपए के जुर्माने की सज़ा सुनाई। इसी मामले के एक और आरोपी जुगराज सिंह गुर्जर को अदालत ने 28 फ़रवरी 2019 को फ़रार घोषित कर दिया था। यह सज़ा बुधवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने सुनाई।
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