नाम विक्रम अहाके। आयु मात्र 31 वर्ष। झूठी प्लेंटे उठाई। कैटरिंग की। तेंदूपत्ता से पत्तलें बनाई। एक वक्त में मकानों की नींव भी खोदी। श्रम साधना नहीं छोड़ी। काम और पढ़ाई साथ-साथ करते रहे। मध्य प्रदेश पुलिस और सीआरपीएफ में चयन भी हुआ। समाज सेवा करना चाहते थे। छिंदवाड़ा के सदाबाहर लीडर कमल नाथ के संपर्क में आये। जिंदगी बदल गई। अब वे नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा के प्रथम नागरिक (मेयर) हैं।
मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले अहाके को छिंदवाड़ा में मेयर का टिकट दिया था। नाथ का फैसला सही साबित हुआ।
लगभग दो दशक (18 साल) के बाद छिंदवाड़ा शहर में नाथ के साथ और विश्वास ने ‘हाथ’ (विक्रम अहाके) को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया।
विक्रम अहाके की कहानी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चाय बेचने, गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि और फाकाकशी के दौर से बहुत हद तक मिलती-जुलती है। रूपहले परदे पर दिखाई जाने वाली बहुतेरी कहानियां भी, विक्रम अहाके की ‘सच्ची कहानी’ एवं मिली अभूतपूर्व सफलता के सामने कमतर दिखलाई पड़ती हैं।
अहाके ने जमीन से लेकर आसमानी राजनीतिक उड़ान के सफर को ‘सत्य हिन्दी’ के साथ शेयर किया। उन्होंने बताया, ‘जब जन्म हुआ था, तब पिता पंक्चर और चाय की दुकान चलाते थे। उन्होंने खेती-किसानी भी की। जब 9 साल का था, तब मां की 438 रुपये महीने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नौकरी लगी। उनकी नौकरी के बाद भी कम रुपयों में गुजारा बहुत दुष्कर होता था। सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। गर्मियों की दो महीनों की छुट्टी होती थी तो उस समय में कई मकानों में नींव खोदने का काम किया।’
अहाके ने बताया, ‘अपनी दुकान पर झूठे कप-प्लेट उठाये और धोये। चाय बांटी। तेंदूपत्ता से पत्तलें बनाकर भी गुजर-बसर में परिवार का साथ दिया। कैटरिंग भी की। एक ड्यूटी के 150 रुपये मिला करते थे। अच्छा लगता था।’
अहाके कहते हैं, ‘राजनीति में आना, कमल नाथ जी की वजह से ही हुआ। बचपन में जब छिंदवाड़ा के आकाश में हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर उड़ता देखता था, तो मुंह से यही निकला करता था - देखो कमल नाथ जी उड़ान भर रहे हैं।’
अहाके बताते हैं, ‘नाथ की सफल राजनीतिक यात्रा और उनके द्वारा कराये गये विकास कार्यों से प्रेरित होकर एनएसयूआई से जुड़ गया। दो बार मध्य प्रदेश पुलिस और एक बार सीआरपीएफ में सलेक्शन हुआ। एनएसयूआई के एक कार्यक्रम में कमल नाथ जी आए थे। उनके सामने सीआरपीएफ में सलेक्शन संबंधी अपाइंटमेंट लेटर पेश करते हुए कहा था - ड्यूटी नहीं, समाज सेवा ही करते रहना चाहता हूं।’
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राहुल-प्रियंका भी हैं मुरीद
विक्रम अहाके के संघर्ष और लगनशीलता के प्रशंसक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी हैं। अहाके के छिंदवाड़ा का मेयर चुने जाने के बाद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इस बारे में पोस्ट की है।
राहुल के पोस्ट के शीर्षक ‘मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पिता किसान और बेटा महापौर’ को खूब पसंद किया गया है।
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उधर, प्रियंका गांधी ने भी अहाके के संघर्ष और मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुखिया नाथ के निर्णय को जमकर सराहा है।
प्रतिद्वंद्वी के पैर छुए थे
विक्रम अहाके संघर्ष और लगन के अलावा अपने सौम्य व्यवहार के लिये भी ख्यात हैं। मेयर का टिकट मिलने के बाद प्रचार करते हुए उन्होंने मुख्य प्रतिद्वंद्वी और जीत के बड़े दावेदार माने जा रहे बीजेपी प्रत्याशी अनंत धुर्वे के सार्वजनिक तौर पर पैर छुए थे। धुर्वे से विजय श्री का आशीर्वाद मांगा था।
धुर्वे छिंदवाड़ा नगर निगम में आयुक्त थे। धुर्वे को इस्तीफा दिलाकर बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा था। करीब 40 सालों से छिंदवाड़ा में रह रहे धुर्वे की जीत को सुनिश्चित बताया जा रहा था। कहा जा रहा था, ‘विक्रम को टिकट देकर कांग्रेस ने बीजेपी को वाकओवर दे दिया है।’
उधर, अहाके द्वारा सार्वजनिक रूप से धुर्वे के पैर छूकर आशीर्वाद मांगने वाली बिंदास शैली छिंदवाड़ावासियों को खूब भायी। इसकी खूब चर्चाएं हुईं। मीडिया की सुर्खियां भी यह वृतांत बना। लोग कहने लगे थे कि अहाके चमत्कार करेंगे!। मेयर पद का चुनाव जीतकर अहाके ने आम जनों द्वारा जताई गई संभावनाओं को सच कर दिखाया।
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'गरीब हित पहली प्राथमिकता'
महापौर के तौर पर प्राथमिकताओं के बारे में पूछने पर अहाके ने कहा, ‘जिस गरीब परिवेश से वे आये, वही वर्ग उनके लिए पहले पायदान पर होगा। उसका हित करना पहला लक्ष्य रहेगा। छिंदवाड़ा के कमल नाथ और नकुलनाथ के विकास मॉडल को आगे बढ़ाने का संकल्प भी उन्होंने जताया।’
अहाके ने यह भी कहा, ‘फाकाकशी के दौर में कई बार भूखे सोये। एक बार तो किराया नहीं होने पर छिंदवाड़ा से अपने गांव करीब 19 किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा किया था, पुराने दुर्दिन, गरीबों की मदद के लिए प्रेरित करते थे और आगे भी करते रहेंगे।’
26 सीटें जीती है कांग्रेस
छिंदवाड़ा नगर निगम में पार्षदों की कुल 48 सीटें हैं। इन 48 सीटों में कांग्रेस 26 पर विजयी हुई है। जबकि बीजेपी को 18 और अन्य दलों/निर्दलियों को 4 सीटें मिल सकी हैं।
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