मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री की बयानबाजी के बीच अब उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान ने भी ताल ठोक दी है। चौहान की तल्खियत भरी बयानबाजी संकेत दे रही है, कि ‘लोकसभा चुनाव के पहले वे सम्मानजनक पुनर्वास अथवा आर-पार का निर्णय चाह रहे हैं।’
बता दें, शिवराज सिंह चौहान की केन्द्रीय नेतृत्व से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के पहले से ‘ठनी’ हुई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम राज्यों की विधानसभा के चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश को भाजपा के लिए सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था।
हिन्दी भाषी तीन राज्यों में मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की चुनावी नैया डूबने संबंधी खबरें आती रहीं थीं। माना जा रहा था कि शिवराज सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटी इन्कम्बेंसी है और यह राज्य भाजपा के हाथों से चला जायेगा। भाजपा के आंतरिक सर्वे भी कुछ ऐसी रिपोर्टस दे रहे थे। ओपिनियन पोल और जमीनी हालात भी मध्य प्रदेश में भाजपा को कमजोर करार दे रहे थे।
तमाम रिपोर्टस एवं हालातों को देखते हुए केन्द्रीय नेतृत्व और खासकर नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव से जुड़े सभी फैसले लेने की शक्ति अपने हाथों में ले ली थी। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह, राजस्थान में वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को पीछे रखते हुए दोनों नेताओं ने पूरी बिसात बिछाई थी।
चूंकि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के ठीक पहले जून 2023 में लाड़ली बहना योजना को लांच किया था। इस योजना का असर दिखने लगा था, लिहाजा चुनाव प्रचार के दौरान नेतृत्व मामूली सा मोल्ड हुआ था। शिवराज सिंह चौहान का टिकट भी देर से घोषित किया गया था।
शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के पहले ही नेतृत्व के रूख के मद्देनज़र बयानबाजी आरंभ कर दी थी। डिंडोरी की एक सभा में शिवराज सिंह का बयान ‘मोदी को प्रधानमंत्री होना चाहिए अथवा नहीं’ खासा सुर्खियों में रहा था।
चुनावों के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद के चुनाव में मोहन यादव की लॉटरी ‘खुलने’ के बाद से शिवराज सिंह तिलमिलाये हुए हैं। वे एक के बाद एक तल्ख और आलाकमान को परेशान करने वाले बयान दे रहे हैं। शिवराज सिंह के ऐसे बयानों की फेहरिस्त लंबी है।
चुनाव के दौरान सिर्फ दो-ढाई घंटे सोता था
दक्षिण के दौरे से लौटने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पुणे में फिर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पार्टी में खलबली मचाई है।
शिवराज सिंह ने पुणे के कार्यक्रम में कहा कि, ‘कहा जा रहा था, एमपी में बीजेपी नहीं जीतेगी। 18 साल हो गये, एंटीइन्कम्बेंसी है। कांग्रेस घोषणा करती थी, क्लीनस्विप करेंगे। और तो ओर मेरी पार्टी के नेता भी कहते थे, मुश्किल है। नहीं हो सकता। गड़बड़ है। लेकिन हमने तय किया, किसी भी कीमत पर मेरी पार्टी को जिताऊंगा। कोई ताकत दुनिया की मुझे जीतने से नहीं रोक सकती। एक संकल्प पैदा हुआ और उसके अनुरूप काम किया।’
शिवराज सिंह ने आगे कहा, ‘मैं आज आपसे शेयर करना चाहता हूं, दो घंटे सोता था, केवल दो घंटे। रात के 10 बजे तक पहले हेलीकॉप्टर से सभाएं। हेलीकॉप्टर का पंखा कभी बंद नहीं होने दिया। दौड़कर कूदता था। सभा करता था। दौड़कर बैठता था। फिर बाय रोड भोपाल पहुंचता था। फोन कॉल और बैठकें करता था। दो-ढाई बजे भोपाल आता था। दो-ढाई घंटे सोता था और फिर काम पर शुरू हो जाता था।’
मध्य प्रदेश में मामा कहे जाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘सारे लोग बाद में कहने लगे थे कांटे की टक्कर है-कांटे की टक्कर है। मैंने कहा, लाड़ली बहनाओं ने सारे कांटे निकाल दिए। मेरा स्टेटमेंट पढ़ा होगा आपने। जब रिजल्ट आये तो आपने देखा होगा कांग्रेस ने नहीं बीजेपी ने क्लीनस्विप किया। अब तक के सबसे ज्यादा वोट पाये। सबसे ज्यादा शानदार सीटें मिलीं।’
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘सोचा और हो गया। मुझे कहा फॉर्मर चीफ मिनिस्टर, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं हैं। कई बार आदमी तब (कुर्सी) छोड़ते हैं, जब जनता नकार दे। लोग गाली देने लगें। बहुत दिन हो गया, यही बैठा हुआ है। अपन छोड़कर भी आये तो ऐसे आये जहां जाते हैं, वहां लोग कहते हैं, मामा-मामा, मामा।’
शिवराज सिंह ने दोहराया, ‘जनता का स्नेह और प्यार, यह अपनी असली दौलत है। लेकिन छोड़ दिया, इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीति नहीं करूंगा। अभी भी करूंगा। किसी पद के लिए नहीं। राजनीति केवल पदों के लिए नहीं होती, राजनीति बड़े लक्ष्य के लिए। वही आव्हान आपसे करने आया हूं, मित्रों आना पड़ेगा तुमसे में कई को राजनीति में इसलिए कि कई काम बाकी हैं जो पूरे करने हैं।’
प्रेक्षकों का मानना है कि, शिवराज सिंह चौहान का प्रत्येक बयान ‘केलकुलेटिव’ है। वे प्रत्येक बयान की गंभीरता से भिज्ञ हैं और एक के बाद एक ऐसे बयान दे रहे हैं, जो केन्द्र को चुनौती पेश कर रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि केन्द्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव तक शिवराज सिंह चौहान को टॉलरेट करने की रणनीति अपनाने के मूड में है, लेकिन शिवराज सिंह के बयानों से प्रतीत हो रहा है कि शिवराज सिंह चाह रहे हैं, ‘केन्द्रीय आलाकमान उन्हें लेकर फैसला लोकसभा चुनाव के पहले ले। यदि कार्रवाई करना है तो भी और सम्मानजनक पद देना है तो भी, निर्णय लोकसभा चुनाव के पहले होना चाहिए।’
संभवतः यही वजह है कि शिवराज सिंह रूकने को तैयार नहीं है। दरअसल शिवराज सिंह की गिनती धीर-गंभीर नेताओं में होती रही है। शांत स्वभाव का उन्हें माना जाता है। मुख्यमंत्री पद जाने के बाद शांत रह पाना संभव नहीं है, लेकिन शिवराज सिंह ‘अशांत होने’ की ‘सीमा’ को भी लांघते हुए प्रतीत हो रहे हैं।
यह भी माना जा रहा है कि सतत बयानबाजी शिवराज सिंह का आत्मघाती कदम है। देर-सबेर इस बयानबाजी से भारी नुकसान शिवराज सिंह चौहान को होना तय माना जा रहा है।
बेटे ने भी दिया तल्ख बयान
शिवराज सिंह के बाद उनके पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान का एक तल्ख बयान सामने आ गया है। बुधनी (शिवराज सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है) के वोटरों को धन्यवाद देने पहुंचे कार्तिकेय ने पिता शिवराज के साथ हुए कथित अन्याय को लेकर वोटरों के बीच कहा, ‘आप चिंता मत करो, एक बात याद रखो, यह पावर किसी पद में नहीं, व्यक्ति में होता है। आप सबने (वोटरों ने) जो ताकत दी, उसी के चलते आपके बीच का शख्स 18 साल मुख्यमंत्री रहा।’कार्तिकेय ने आगे कहा, ‘मध्य प्रदेश के किसी भी कोने में चले जायें तो ऐसा महसूस होगा, आज भी जनता के दिल के सिंहासन पर एक ही व्यक्ति (शिवराज सिंह जी) विराजमान है। मैं मानता हूं, इससे बड़ी ताकत पूरे देश में, पूरी दुनिया में कोई नहीं हो सकती।’
कार्तिकेय ने कहा, ‘जब तक यह ताकत अपने साथ रहेगी, जब तक यह ताकत आप अपने नेता को देंगे, तब तक उनके स्वाभिमान के साथ कोई खिलवाड़ नहीं सकता। आपके स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ होने नहीं देंगे।’
कार्तिकेय ने वोटरों का धन्यवाद करते हुए क्षेत्र में एक अन्य सभा में यह भी कहा, ‘सरकार अपनी है। उम्मीद है जनता से किए वादे पूरे करने में कोई कठिनाई पेश नहीं आयेगी। क्षेत्र की मांगे पूरा करने के लिए यदि सरकार से भिड़ना पड़ा तो वे (कार्तिकेय) भिड़ जायेंगे। हालांकि ऐसी नौबत कभी आयेगी नहीं।’
कार्तिकेय ने यह भी कहा, ‘वे राजनीति में आना नहीं चाहते हैं। पिता का क्षेत्र संभाल रहे थे। वोट मांगने आते रहे, लिहाजा स्पष्ट करने आये हैं कि क्षेत्र की जनता से किए गए हर वादे को पूरा करने का कोई अवसर छोड़ेंगे नहीं।’
बयानबाजी से शिवराज को हो सकता है नुकसान
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरूण दीक्षित ने पिता-पुत्र (शिवराज सिंह-कार्तिकेय सिंह) की बयानबाजी को लेकर ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘शिवराज सिंह इलेक्टेड सीएम नहीं थे, वे सिलेक्ट मुख्यमंत्री थे। केन्द्र ने उन्हें भेजा था। अब वे रिजेक्ट कर दिए गए नेता हो गए हैं।’दीक्षित का कहना है, ‘पिता और पुत्र को यदि सचमुच में रंज है तो बयानबाजी करने की जगह मोदी-शाह को सीधी चुनौती देने के लिए मैदान में उतरना चाहिए। विधायकों को साथ लेकर शक्ति प्रदर्शन करें। विधायकों का साथ न हो तो दो टूक आलाकमान से मिलकर अपनी बात कहें कि उनके साथ अन्याय किया गया है।’
दीक्षित ने कहा, ‘शिवराज सिंह पहले बहनों को आगे रखकर निशाना साध रहे थे। लाड़ली बहनों को किश्त जारी हो गई तो नये बयानों के साथ पुनः सामने आ गए हैं।’ अरूण दीक्षित ने कहा, बयानबाजी या कसमसाने से बात नहीं बन पायेगी। कुछ हासिल नहीं होगा। इससे शिवराज को नुकसान होना तय है।
अपनी राय बतायें