बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर शहीद पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे के ख़िलाफ़ ज़हर उगला है। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा है कि हेमंत करकरे देशभक्त नहीं हैं। हेमंत करकरे ने मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले में देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी।
भोपाल के सीहोर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रज्ञा ने शुक्रवार को कहा, “एक इमरजेंसी जैसे हालात 2008 में भी बने थे, जब मालेगांव बम धमाकों में मुझे जेल के अंदर किया गया था। हेमंत करकरे को जिसको लोग देशभक्त कहते हैं लेकिन वास्तव में जो देशभक्त हैं, वे उसे देशभक्त नहीं कहते, उसने मुझे पढ़ाने वाले मेरे आचार्य की उंगलियां तोड़ दी थीं।”
2019 में भी प्रज्ञा ठाकुर ने हेमंत करकरे के लिए ऐसा ही बयान दिया था। प्रज्ञा ने कहा था, “मैंने कहा तेरा (हेमंत करकरे) सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगा है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन उसे सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में उसको आतंकवादियों ने मारा और उसका अंत हो गया।”
तब उनके इस बयान का काफी विरोध हुआ था और बीजेपी ने इस बयान से ख़ुद को अलग करते हुए कहा था कि ये प्रज्ञा के निजी विचार हैं। प्रज्ञा ने कहा था कि मालेगांव बम धमाके के मामले में गिरफ़्तार किए जाने के बाद उन्हें रात-रात भर पीटा जाता था और कई-कई दिन सिर्फ़ पानी के सहारे काटने पड़े।
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हेमंत करकरे ने मालेगांव बम धमाकों के मामले में सुबूत इकट्ठे किए थे और इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया था। प्रज्ञा ठाकुर को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था। करकरे मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गये थे। उस समय वह मालेगांव बम धमाकों की जांच कर रहे थे और मुंबई एटीएस के चीफ थे।
बीजेपी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हराया था।
इंद्रेश कुमार ने भी किया अपमान
ऐसा नहीं है कि प्रज्ञा ठाकुर ने ही हेमंत करकरे के लिए इस तरह का बयान दिया है। संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने 2019 में कहा था कि आतंकी हमले में मारे गए हेमंत करकरे को श्रद्धांजलि दी जा सकती है लेकिन उनका आदर नहीं किया जा सकता है।’ कुमार ने कहा था कि करकरे के बलिदान का सम्मान है लेकिन करकरे के अत्याचार को भी अंकित करना ज़रूरी है।
मालेगांव बम धमाके
9 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव के मुसलिम बहुल इलाक़े में बम धमाके हुए थे। इस मामले की जांच तत्कालीन एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे को सौंपी गयी थी। एटीएस ने इस मामले में अक्टूबर, 2008 में 11 संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार किया था।
इनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, स्वामी अमृतानंद उर्फ दयानंद पांडे, सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय और एक आर्मी अफ़सर प्रसाद श्रीकांत पुरोहित के नाम भी शामिल थे। करकरे के नेतृत्व वाली एटीएस टीम ने जांच में पाया था कि इनमें से अधिकतर लोग उग्र हिंदुत्व ग्रुप अभिनव भारत से जुड़े हैं।
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