मध्य प्रदेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का बड़ा पैरोकार कौन? बीजेपी और कांग्रेस के बीच स्वयं को ओबीसी का बड़ा हितैषी साबित करने के लिये मची होड़, दावे-प्रतिदावे, आरोप एवं प्रत्यारोप की सियासत ने रविवार को जमकर तूल पकड़ लिया। वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने सत्तारूढ़ दल की ओर से लगाये जा रहे तमाम आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और राज्य के नगरीय आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह को 10 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेज दिया। तन्खा ने तीन दिनों में माफी मांगने का अल्टीमेटम अपने नोटिस में तीनों को दिया है।
पिछले सप्ताह भर से राज्यसभा सदस्य तन्खा और सत्तारूढ़ दल बीजेपी के बीच पंचायत चुनावों को लेकर राजनीति गर्माई हुई है।
मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद कांग्रेस कोर्ट पहुंची हुई है। पंचायत सीटों के रोटेशन, परिसीमन और राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती देते हुए याचिका लगाई गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया था।
इसके बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट गई। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही जगह विवेक तन्खा ने कांग्रेस की याचिकाओं की पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को सुनने के लिए हाई कोर्ट को लौटा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे कि 16 दिसंबर को हाईकोर्ट मामले को पुनः सुने और अपना फैसला दे। हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई की अर्जी लगाई। हाईकोर्ट ने विंटर वेकेशन के बाद सुनवाई के लिए 3 जनवरी की तारीख लगा दी।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से तीन जनवरी की तारीख मिलने पर कांग्रेस ने पुनः सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग संवैधानिक तरीके से इलेक्शन कराएंगे। यदि असंवैधानिक तरीका अपनाएंगे, तो इलेक्शन ही रद्द हो जाएगा।
रिजर्वेशन का मसला उठने पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ओबीसी आरक्षण मामले में महाराष्ट्र केस में जो फैसला दिया है, उसका पालन मध्य प्रदेश में भी होना चाहिए।
आरक्षित सीटों पर चुनाव रद्द
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों के चुनावों को मुलतवी कर दिया। बाकी सीटों के लिए पूर्व घोषित तारीखों के अनुसार चुनाव को जारी रखने का फैसला सुना दिया।
राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद से प्रदेश की सरकार और बीजेपी संगठन ने कांग्रेस को निशाने पर लिया हुआ है।
वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को ओबीसी वर्ग का विरोधी करार देते हुए उन्हें ‘खलनायक’ की तरह कठघरे में खड़ा करते हुए पूरी कांग्रेस को निशाना बनाया जा रहा है।
बीजेपी के सिलसिलेवार बयानों के बीच विवेक तन्खा लगातार सफाई दे रहे थे। वे बता रहे थे कि ओबीसी वर्ग के आरक्षण के लिए तो वे कानूनी लड़ाई लंबे समय से लड़ रहे हैं। लेकिन बीजेपी की ओर से तन्खा के खिलाफ बयानबाजी और आरोपों का सिलसिला थम नहीं रहा था।
रविवार की शाम को तन्खा ने ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेल दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और नगरीय आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह को 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेज दिया। तन्खा के इस कदम से बीजेपी सकते में नज़र आयी।
यह नोटिस रविवार देर शाम प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने तन्खा की ओर से भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि इस आरोप से तन्खा की सामाजिक छवि धूमिल हुई है।
दरअसल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने रविवार को बीजेपी के ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि मामला विवेक तन्खा कोर्ट लेकर गए। विवेक तन्खा ने महाराष्ट्र का उदाहरण कोर्ट में दिया। विवेक तन्खा ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाने के लिए कहा।
मुख्यमंत्री ने तो सीधे तौर पर विवेक तन्खा पर राजनीतिक हमला नहीं बोला, लेकिन चुटकियां वे भी लेते रहे। उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपने आरोपों में तन्खा को अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का विरोधी करार दिया।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की तरह मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसमें राज्य स्तरीय आयोग के गठन की स्थापना करने का उल्लेख है। यह आयोग इस वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा। इसके आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा।
तमाम सियासी उठा-पटक और दांव-पेच के बीच विवेक तन्खा ने रविवार शाम को दो अलग-अलग ट्वीट करके भी सत्तारूढ़ दल बीजेपी को आड़े हाथों लिया।
अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘ मैंने अधिवक्ता शशांक शेखरजी के द्वारा 10 करोड़ का मानहानि, अन्य सिविल, क्रिमनल कार्यवाही का नोटिस श्री शिवराज सिंह, श्री विष्णुदत्त शर्मा, श्री भूपेंद्र सिंह को भेजा है। यदि 3 दिवस में ये स्थिति स्पष्ट नहीं करते तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जायेगी।’
विवेक तन्खा ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है, ‘कोर्ट की कार्यवाही के सम्बंध में झूठ बोलना, असत्य के आधार पर झूठी मुहिम जघन्य अपराध है। मेरी चुनौती है कि वे मुझे झूठा सिद्ध करें, खुद को सच्चा। देश, बीजेपी की ‘ट्रोल आर्मी’ के झूठ से तंग आ चुका है। झूठे दुष्प्रचार के असहनीय होने के कारण यह कदम उठाया है।’
राज्य के गृहमंत्री और शिवराज सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा को मीडिया ने तन्खा के नोटिस मामले पर घेरा तो उन्होंने कहा, ‘जो सत्य है वह कांग्रेस को स्वीकार कर लेना चाहिए। वे लगातार इस विषय का उठा रहे थे। चुनाव को रोकने की बात कर रहे थे। परिणाम सामने आया है तो क्यों चिंतित हो रहे हैं?’
तन्खा के नोटिस का पुनः स्मरण कराये जाने पर मिश्रा ने कहा, ‘नोटिस आयेगा तो हम जवाब देंगे।’
शिवराज की नीयत में खोट: कमल नाथ
पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ ने रविवार देर रात मीडिया से बातचीत में कहा, ‘पंचायत चुनाव और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर शिवराज सरकार की नीयत में शुरू से ही खोट रहा है। पहले डेढ़ सालों तक उसने चुनावों को टाला। फिर 2011 के परिसीमन और रोटेशन नियमों का पालन किये बिना चुनावों की घोषणा कर दी। कांग्रेस, रोटेशन और 2021 के मान से परिसीमन के लिए कोर्ट गई। कोर्ट ने जब आरक्षण पर सवाल उठाया तो प्रदेश के सरकारी अधिवक्ता और राज्य निर्वाचन आयोग के वकील खामोश रहे। फैसला आने के बाद कांग्रेस के सिर ठीकरा फोड़कर बचने का प्रयास अब सरकार कर रही है।’
कमल नाथ ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में 54 फीसदी के लगभग ओबीसी के लोग हैं। इस बात को कांग्रेस और उन्होंने समझा। सरकार में आये तो 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। मेरी सरकार में जब बिल लाया गया तो बीजेपी चुप्पी साधी रही। अब स्वयं को ओबीसी का बड़ा हितैषी बताकर वोट की राजनीति कर रही है। प्रदेश की जनता सब जानती है और बीजेपी के झूठ में फंसेगी नही।’
विधानसभा में भी हंगामा तय
मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से आरंभ हो रहा है। तमाम मुद्दों के अलावा विधानसभा में शोरगुल का सबसे बड़ा मुद्दा पंचायत चुनाव और इस चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण एवं ओबीसी की कथित अनदेखी का होने की संभावना है।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका का भी निर्वहन करने वाले कमल नाथ तो रविवार रात को ही इस बात के संकेत दे चुके थे। उन्होंने कहा था कांग्रेस इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश कर रही है। चर्चा की मांग मंजूर होने पर सरकार का चेहरा प्रदेश की जनता के सामने बेनक़ाब करेगी।
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