कर्मचारियों को तनख्वाह बांटने के लाले पड़ने पर भी नेशनल हेराल्ड ने भोपाल में एक चर्चित कारोबारी को अपनी बेशकीमती संपत्तियां ‘दान’ में क्यों दीं? क्यों औने-पौने दामों पर रसूखदार लोगों को प्रॉपर्टीज ‘बेची’ गईं? क्यों हाईप्रोफाइल लोगों को प्रोजेक्ट से जोड़ा गया? ये और ऐसे अनेक सवालों के जवाब नये सिरे से खोजे जाने का सिलसिला आरंभ हुआ है।