कर्मचारियों को तनख्वाह बांटने के लाले पड़ने पर भी नेशनल हेराल्ड ने भोपाल में एक चर्चित कारोबारी को अपनी बेशकीमती संपत्तियां ‘दान’ में क्यों दीं? क्यों औने-पौने दामों पर रसूखदार लोगों को प्रॉपर्टीज ‘बेची’ गईं? क्यों हाईप्रोफाइल लोगों को प्रोजेक्ट से जोड़ा गया? ये और ऐसे अनेक सवालों के जवाब नये सिरे से खोजे जाने का सिलसिला आरंभ हुआ है।
नेशनल हेराल्ड: माली हालत खस्ता थी फिर दान क्यों की प्रॉपर्टी?
- मध्य प्रदेश
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- 9 Aug, 2022

मध्य प्रदेश में नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़ी प्रॉपर्टी को ‘खुर्द-बुर्द’ करने के आरोपों में कितनी सचाई है? 'सत्य हिंदी' इस पर एक शृंखला प्रकाशित कर रहा है। पढ़िए इस कड़ी में चौथा भाग।
नेशनल हेराल्ड को संचालित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रेस कॉम्पलेक्स में घटीदरों (एक लाख रुपये प्रति एकड़ की दर) पर 1981 में राज्य सरकार ने 1 एकड़ 14 डेसिमल बेशक़ीमती ज़मीन (आज बाजार मूल्य 200 करोड़ रुपये के लगभग है) आवंटित की थी। जमीन को ‘खुर्द-बुर्द’ करने का आरोप एजेएल पर है।