प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार घंटे की भोपाल यात्रा के लिए तैयारियां उफान पर हैं। मोदी 15 नवंबर को भोपाल आ रहे हैं। वे यहां विश्वस्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित किए गए हबीबगंज रेलवे स्टेशन के लोकार्पण के अलावा बिरसा मुंडा जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में शामिल होंगे।
अहम हैं जनजाति के वोटर
मध्य प्रदेश सरकार का पूरा फोकस जनजातीय गौरव दिवस पर है। दरअसल, राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यह वोटर जिस भी पार्टी के साथ जाता है, उसके लिए सरकार बनाना आसाना हो जाता है।
मध्य प्रदेश में 2003 के सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटरों को अपने साथ करने के लिए तमाम जतन किए हैं। प्रयास रंग भी लाये। बीजेपी को 2008 में अनुसूचित जाति वर्ग की 29 और 2013 में सबसे ज्यादा 31 सीटें हासिल हुईं।
पाले में वापस लाने की कोशिश
इसके बाद से ही बीजेपी अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटरों को साधने की जुगत में लगी हुई है। 15 नवंबर को भोपाल में होने वाला जनजातीय गौरव दिवस जलसा इसी कड़ी का हिस्सा है। राज्य सरकार ने बिरसा मुंडा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित कर दिया है।
कोविड के बाद मध्य प्रदेश सरकार के खजाने की हालत खस्ता है। बावजूद इसके जनजातीय गौरव दिवस के लिये दिल खोलकर पैसा खर्च किया जा रहा है। सरकार और बीजेपी का प्रांतीय संगठन पूरी शिद्दत से आयोजन की सफलता के लिए जुटा हुआ है।
जंबूरी मैदान पर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। बीजेपी इस मैदान को स्वयं के लिए बेहद शुभ मानती है। प्रत्येक चुनाव के पहले और अन्य अवसरों पर बड़े जलसे इस मैदान पर किए जाते हैं।
जनजातीय गौरव दिवस के लिए मैदान पर अभूतपूर्व व्यवस्थाएं की गई हैं। पांच विशाल डोम लोगों के लिए बनाए गए हैं। जबकि पीएम और सीएम समेत आदिवासी नेताओं की बैठक के लिए विशाल मंच स्थापित किया गया है।
सुनिश्चित किया गया है कि प्रोटोकॉल वाले मंत्रियों के अलावा मंच पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और आदिवासी वर्ग के नेताओं को ही जगह दी जाएगी। बाकी सब मंच के सामने नीचे बैठेंगे।
कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ऐसी बैठक व्यवस्था तैयार की गई है कि दो लाख लोग आसानी से बैठ जायेंगे। प्रदेश के सभी 52 जिलों से लोगों को लाने और छोड़ने की जिम्मेदारियां बीजेपी ने तय कर दी हैं।
वाहनों के भाड़े के साथ खाने-पीने और ठहरने के तमाम इंतजामों पर 13 करोड़ रुपये के लगभग की राशि का व्यय संभावित है। यह राशि जिलेवार उपलब्ध कराई जा चुकी है। वाहनों की बुकिंग के लिए एडवांस में पैसा मिलने की सूचनाएं भी जिलों से कन्फर्म हो गई हैं।
स्क्रीन, प्रचार-प्रसार पर खर्च
जंबूरी मैदान की साज-सज्जा, डोम, प्रचार और प्रसार पर भी 9 करोड़ रुपये के लगभग की राशि व्यय की जा रही है। जनजातीय समारोह का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। लाइव टेलीकास्ट के लिए सभी 52 जिलों में भव्य स्क्रीन लगाई गई हैं। इन स्क्रीनों के जरिये एक करोड़ के करीब लोगों को जोड़ने की जुगतबाजी हो रही है।
सत्तारूढ़ दल का यह आयोजन एक तरह से वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का मेगा शो माना जा रहा है।
सरकार-संगठन के भी कार्यक्रम
पीएम के दौरे के बाद भी सरकार और बीजेपी संगठन सप्ताह भर तक प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस को मनाने वाले हैं। राज्य भर में होने वाले आयोजनों पर भी जमकर राशि खर्च करने की तैयारियां हैं।
200 करोड़ की घोषणाएं संभावित
अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटरों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 200 करोड़ से ज्यादा की घोषणाएं करने की तैयारी में हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटरों और उनके परिजनों के लिए योजनाएं तैयार की गई हैं। घोषणाएं कितने दिनों में पूरी कर देंगे, इसे लेकर भी होमवर्क चल रहा है। मंच से सीएम घोषणाओं को पूरा करने को लेकर भी रूपरेखा घोषित करेंगे।
हबीबगंज स्टेशन पर 100 करोड़ खर्च
भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन का स्वरूप देने के लिए 100 करोड़ की राशि व्यय की गई है। पीपीपी मोड से जर्मनी के हिलबर्ग स्टेशन जैसी आधुनिकतम सुविधाओं से स्टेशन को लैस किया गया है। पीएम मोदी 15 नवंबर को इस स्टेशन का लोकार्पण करेंगे।
स्टेशन पर एक पांच सितारा होटल, एक मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और भव्य मॉल भी विकसित किया जा रहा है। कुल 450 करोड़ की राशि इस स्टेशन के पुननिर्माण और अन्य निर्माण कार्यों पर व्यय की जा रही है।
तैयार है कांग्रेस
अनुसूचित जनजाति वर्ग के वोटरों को हाथों से ना छिटकने देने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी व्यूह रचना बनाई हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ की अगुवाई में कांग्रेस जनजातीय वर्ग का बड़ा जलसा अगले सप्ताह जबलपुर में करने वाली है। बीजेपी की तरह कांग्रेस ने भी अगले कुछ दिनों तक जनजाति वोटरों को रिझाने के लिए निरंतर कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा घोषित की हुई है। आदिवासी इलाकों में वह भी विभिन्न कार्यक्रम करने वाली है।
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