मध्य प्रदेश में नये सीएम का नाम चौंकाने वाला है। ऐसा इसलिए कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है। वह इससे पहले दो बार विधायक रहे हैं और शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री रहे थे।
मध्य प्रदेश में मोहन यादव का नाम उसी तरह से चौंकाने वाला है जैसा हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी जैसे नेताओं का नाम चौंकाने वाला रहा था। बहरहाल, एमपी में मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री थे। वह 2 जुलाई 2020 को ही शिवराज सिंह चौहान सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे।
2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनका खेमा कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी में शामिल हो गया था और तभी कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बीजेपी की सरकार बन पाई थी। इसी में पहली बार मंत्री बने मोहन यादव की राजनीतिक ताक़त बढ़ी।
58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर 2013 में विधायक के रूप में उनके पहले चुनाव के साथ शुरू हुआ। इसके बाद 2018 के चुनावों में उन्हें फिर से चुना गया। विधायक की तीसरी जीत हाल ही में संपन्न मध्य प्रदेश चुनाव में हुई। मोहन यादव ने उज्जैन दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार चेतन प्रेमनारायण यादव के खिलाफ 12,941 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर अपनी सीट सफलतापूर्वक बरकरार रखी।
वह उज्जैन दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह क्षेत्र 2003 से भाजपा के लिए एक गढ़ रहा है।
मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव के साथ ही जगगीश देवड़ा और राजेश शुक्ला उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। नरेंद्र तोमर को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया है। भाजपा ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जायेगा इसका किसी को अंदाजा नहीं था। खुद मोहन यादव विधायक दल की बैठक में विधायकों के साथ पीछे की कतार में बैठे हुए थे। जबकि नरेंद्र सिंह तोमर, शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद पटेल जैसे कद्दावर नेता आगे की पंक्ति में बैठे हुए थे।
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