खुद को आदिवासियों की हितैषी कहने वाली मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार से क्या राज्य के गरीब किसान आदिवासियों का भरोसा डगमगाने लगा है? क्या अब इनकी सुनवाई करना सरकार ने बंद कर दिया है और क्या इनके सामने न्याय पाने का आखिरी रास्ता मौत को गले लगाना ही बचा रह गया है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर सिवनी जिले के दो आदिवासियों ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को चिट्ठी लिखकर इच्छा मृत्यु की इजाज़त क्यों मांगी! उनकी यह बेबसी न सिर्फ राज्य सरकार की संवेदनहीनता बल्कि स्थानीय प्रशासन के अमानवीय और भ्रष्ट रवैये को भी उजागर करता है।