मध्य प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी के विधायक राजेश प्रजापति मंगलवार रात को एक डीएम के आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। विधायक ने आरोप लगाया कि छतरपुर के डीएम ने उनसे मुलाक़ात नहीं की और दलित होने के कारण उनकी उपेक्षा की जा रही है।
विधायक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर डीएम से मिलने आए थे। लेकिन डीएम कहीं चले गए और वे उनका इंतजार करते रहे। विधायक ने कहा, लौटने के बाद डीएम आरटीओ सहित बाक़ी अफ़सरों, कर्मचारियों से मिलते रहे लेकिन उनसे नहीं मिले। उन्होंने कहा कि डीएम एक दलित विधायक से मिलकर उनकी समस्याओं को नहीं जानना चाहते।
चूंकि मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और इसके बाद भी डीएम से बीजेपी के विधायक तक नहीं मिल पा रहे हैं तो आम लोग कैसे मिल पाएंगे।
विधायक ने कहा कि वे राज्य के अंतिम छोर के विधायक हैं और दलित समाज से आते हैं, इसलिए उनकी उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार दलितों के साथ है लेकिन अफ़सर ऐसा बर्ताव करके क्यों सरकार को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आख़िर डीएम उनसे मुलाक़ात क्यों नहीं कर रहे हैं।
विधायक के धरने पर बैठते ही स्थानीय मीडिया में यह ख़बर चल पड़ी और मौक़े पर तमाम मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया। विधायक के दलित होने के कारण उपेक्षा की बात कहने पर यह आवाज़ दूर तक गई है।
उधर, मध्य प्रदेश में हालिया उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत ठीक नहीं रहा था। खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत का अंतर पौने तीन लाख वोटों से घटकर 82 हजार रह गया है। राज्य की रैगांव सीट भी वह 31 साल बाद हारी है और जिन दो विधानसभा सीटों पर जीती है, वहां आयातित नेताओं की बदौलत उसे जीत मिली है।
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