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खरगोन: दिव्यांग वसीम क्यों पलटे? अब सनसनीखेज़ खुलासा!

खरगोन में हिंसा के बाद दिव्यांग वसीम अहमद शेख की गुमटी किसने गिराई थी? इस पर अब तक दो अलग-अलग बयान दे चुके वसीम अहमद ने अब सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने इसपर बयान नहीं बदला बल्कि ‘क्षेत्र में शांति सद्भाव के लिए प्रशासन ने ऐसा बयान दिलवाया’ था। वसीम ने आरोप लगाया है कि प्रशासन के कहने पर उन्होंने कह दिया था कि उनकी गुमटी को प्रशासन ने नहीं गिराया था। तो क्या वसीम पर बयान बदलने के लिए दबाव था?

वसीम शेख ने ‘सत्य हिन्दी’ से फोन पर बातचीत में बताया है, ‘सोमवार रात साढ़े आठ और नौ बजे के बीच खरगोन नगर पालिका की सीएमओ प्रियंका पटेल उनके घर आयी थीं। कई सारे ‘लोग’ (उसे नहीं मालूम अधिकारी/कर्मचारी थे या कोई अन्य) तथा तीन पुलिस वाले भी उनके साथ पहुंचे थे।’

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वसीम के अनुसार ‘तीन अलग-अलग वाहनों में सवार होकर ये लोग आये थे। जब ये लोग पहुंचे थे तो घर में ही परिवार के सभी सदस्य थे। आस-पड़ोस में भी लोग थे।’ वसीम ने आगे बताया, ‘सीएमओ और उनके साथ आये लोगों ने पूरे परिवार को कमरे के बाहर नहीं निकलने दिया था। आस-पड़ोस के लोगों को भी अपने ही घरों में रहने की ताकीद दी थी।’ वसीम के अनुसार घर के बाहर ओटले पर ही सीएमओ और उनके साथ आये लोग बैठे रहे थे। वहीं उसे भी बैठाया गया था। सीएमओ ने शहर के सद्भाव और शांति की दुहाई दी थी।

वसीम ने कहा, “सीएमओ ने कहा था, ‘अपना नाम और क्षेत्र का उल्लेख करते हुए वसीम तुम, मोबाइल कैमरे के सामने इतना भर बोल दो कि गुमटी प्रशासन ने नहीं तोड़ी है।’ मैंने कहा, ‘सचाई तो उलट है। गुमटी प्रशासन ने ही तोड़ी है!’ अफसर ने दोहराया, ‘शहर की शांति और सद्भाव के लिए गुमटी प्रशासन ने नहीं तोड़ी है, बोलना ज़रूरी है। मैंने कहा, आप जो बोल रही हैं अपने कैमरे से बनाकर दे देता हूं। उन्होंने कहा, तुम बोलो रिकार्डिंग हम कर लेंगे’।”

वसीम ने कहा, ‘अफसर के दबाव के आगे उसकी नहीं चल पायी। जैसा उन्होंने कहा, कैमरे के सामने बोल दिया। अफसर के साथ आये शख्स ने अपने कैमरे से रिकॉर्ड करते हुए वीडियो बना लिया।’
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वसीम के मुताबिक़, ‘वीडियो बना लेने के बाद जाते वक़्त सीएमओ ने एक लिफाफा दिया। यह भी आश्वासन दिया कि गुमटी फिर रखवा दी जायेगी। कारोबार फिर से लगा दिया जायेगा।’ वसीम ने बताया, ‘अधिकारियों के जाने के बाद लिफाफा खोलकर देखा तो उसमें 500-500 रुपये के पांच नोट रखे पाये।’

वसीम का कहना है, सुबह सोकर उठा तब उसे मालूम हुआ कि अख़बारों में ख़बर छपी है कि ‘वह अपने पूर्व के बयान से पलट गया है।’

असल में इस आशय संबंधी खबर कई अख़बारों में छप गई थी। न्यूज़ चैनलों पर भी यही चलता मिला कि ‘मैं अपने बयान से पलट गया हूं’। धूप चढ़ते-चढ़ते मीडिया वालों का मेरे घर आने का सिलसिला भी तेज हो गया।’ 

वसीम ने कहा, ‘जो कहानी आपको बताई है, वही सच है। घर आये मीडिया वालों को भी यही पूरा वृतांत बताया है।’

‘सत्य हिन्दी’ द्वारा पूछे जाने पर वसीम ने कहा, ‘मैंने तो शहर की शांति-सद्भावना की दुहाई देने पर अधिकारी द्वारा जो बोलने को कहा गया, बोल दिया। मुझे नहीं मालूम था कि जो मैं कहूंगा उसका अर्थ कुछ और निकाला जायेगा। कुछ और ही मीडिया में लिख, एवं चला दिया जायेगा।’

वसीम का कहना है, ‘पूरे वाकये और बयान से पलट जाने संबंधी आरोपों को लेकर काफी व्यथित हूं। मां की शुगर काफी बढ़ी हुई है। वे बीमार हैं। समझ नहीं आ रहा है अब आखिर क्या करूं?’

‘सत्य हिन्दी’ ने पूरे मामले पर पक्ष जानने के लिए खरगोन नगर पालिका की सीएमओ प्रियंका पटेल से संपर्क किया। उन्होंने फोन तो उठाया, लेकिन वसीम मामले को लेकर प्रतिक्रिया पूछने पर प्रियंका पटेल ने कहा, ‘वे एडिशनल कलेक्टर के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में हैं। बात नहीं कर पायेंगी।’

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‘सत्य हिन्दी’ ने पूछा कब तक फ्री हो पायेंगी? बतायें समय पर कॉल कर लेंगे, लेकिन ‘प्रियंका पटेल ने फोन काट दिया।’

‘सत्य हिंदी’ ने खरगोन के प्रभारी एसपी रोहित कशवानी से भी संपर्क साधकर प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया। ‘सत्य हिंदी’ यह जानना चाह रहा था, ‘कथित तौर पर गलत बयानी कर सरकार की छवि धूमिल करने वाले वसीम पर पुलिस ने कोई केस बनाया है? एफ़आईआर की है?’ एसपी ने फोन नहीं उठाया। उनका मैसेज ज़रूर आया, ‘कुछ देर बाद कॉल करेंगे। लेकिन शाम तक कशवानी का कॉलबैक नहीं हुआ।’ प्रतिक्रिया आने पर अपडेट किया जाएगा।

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संजीव श्रीवास्तव
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