क्या मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार बीजेपी आलाकमान के आदेश पर गिराई गई थी? मध्य प्रदेश में जोरदार ढंग से वायरल हो रही एक ऑडियो क्लिप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कथित रूप से ऐसा कहते हुए सुना जा सकता है।
कांग्रेस ने ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद सवाल पूछा है, ‘मोदी जी, लोकतंत्र की हत्या के ज़िम्मेदार...हैं?’ जबकि बीजेपी ने सरकार गिराने के आरोपों को झूठा बताया है। इस साल मार्च के महीने में मध्य प्रदेश में सत्ता को लेकर संघर्ष छिड़ा था। इसमें कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया था और कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।
ऑडियो क्लिप में शिवराज कथित रूप से कह रहे हैं, ‘यह आलाकमान ही था, जिसने यह फ़ैसला लिया कि सरकार को गिराया जाना चाहिए, वरना यह सब बर्बाद कर देगी।’ आगे शिवराज कथित रूप से कहते हैं, ‘आप मुझे बताइए, क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी सिलावट के बिना सरकार को गिरा पाना संभव था। कोई और रास्ता नहीं था।’
बताया गया है कि इस ऑडियो क्लिप में शिवराज इंदौर के सांवेर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं। तुलसी सिलावट सिंधिया के बेहद क़रीबी हैं और उन्होंने भी मार्च में कांग्रेस छोड़ दी थी।
वायरल ऑडियो क्लिप को लेकर कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने ख़ुद ही सच बोल दिया है कि बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के साथ मिलकर कमलनाथ की सरकार को गिराने का काम कर रही थी।
उपचुनाव में होगा नुक़सान?
मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले इस ऑडियो क्लिप के सामने आने से बीजेपी को सरकार गिराने के आरोपों का जवाब देना भारी पड़ सकता है। 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में अभी 206 सदस्य हैं। इसमें से 107 विधायक बीजेपी के, 92 कांग्रेस के, 4 निर्दलीय, एक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के 3 विधायक हैं।
कर्नाटक में पिछले साल कांग्रेस-जेडीएस की सरकार भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर ही गिरी थी। वहां कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने बग़ावत कर इस्तीफ़ा दे दिया था।
कर्नाटक में आया था वीडियो
कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार गिरने के बाद पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा का एक वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में येदियुरप्पा हुबली में एक कार्यक्रम में कथित रूप से यह कहते हुए दिखे थे, ‘17 विधायकों को मुंबई ले जाने का फ़ैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष का था। वे विधायक ढाई महीने तक अपने क्षेत्र में नहीं जा सके, न ही अपने परिवार से मिल सके, बस वहीं रुके रहे।’
वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस ने कहा था कि वह शुरू से कहती रही है कि विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त में बीजेपी का हाथ है और अब यह साबित हो गया है।
अपनी राय बतायें