मध्य प्रदेश पुलिस के एक एडीजी के पिता की ‘मौत’ के ‘रहस्य’ ने समूचे प्रशासन और सरकार को ‘चक्कर’ में डाल रखा है। भोपाल के हाई प्रोफ़ाइल इलाक़े 74-बंगले (नेताओं और अफ़सरों के सरकारी आवासों वाला क्षेत्र) के निवासी एडीजी राजेन्द्र कुमार मिश्रा के पिता कुलामणि मिश्रा (84 वर्ष) को 14 जनवरी को डॉक्टर मृत घोषित कर चुके हैं। लेकिन मिश्रा और उनके परिवार का दावा है कि ‘कुलामणि जीवित हैं।’ दो महीनों से मिश्रा परिवार और प्रशासन के बीच जद्दोजहद चल रही है। मिश्रा परिवार ने जहाँ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रखा है तो मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने गत दिवस दूसरी बार सख़्त लहज़े में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह तक को नोटिस जारी कर 26 मार्च के पहले प्रतिवेदन तलब किया है। आयोग की सख़्ती के बाद हड़कंप मच गया है।
यह पूरा मामला बेहद सनसनीखेज़ और हैरत में डालने वाला है। यह प्रकरण तब सामने आया था जब जनवरी के आख़िरी दिनों में एडीजी मिश्रा के घर आसपास रहने वालों ने शिकायत की कि मिश्रा के घर से अजीब-सी दुर्गंध निकल रही है। इसी बीच मिश्रा के घर पर काम करने वाले पुलिस के दो अर्दली बीमार हुए तो पूरी पोल खुल गई। मीडिया में छपा कि मौत के बाद भी एडीजी मिश्रा ने अपने पिता के ‘शव’ का अंतिम संस्कार नहीं किया है। एक महीने से शव को वह घर पर रखे हुए हैं और कथित तौर पर टोने-टोटकों में लगे हुए हैं। उधर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मिश्रा ने अख़बारों में छपी ख़बरों को निराधार क़रार देते हुए दावा किया था कि ‘पिता कुलामणि जीवित हैं।’
अस्पताल के डॉक्टर ने मीडिया से कहा
एडीजी मिश्रा के इस दावे में पेच तब फँस गया था जब कुलामणि मिश्रा का उपचार करने वाले अस्पताल के डॉक्टर अश्विनी मल्होत्रा ने मीडिया से कहा था कि ‘13 जनवरी की रात क़रीब 8 बजे साँस में तकलीफ़ होने की शिकायत पर कुलामणि जी को भर्ती किया था। उन्हें सीओपीडी (क्रॉनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज़) और फेफड़ों में संक्रमण था। डेढ़ घंटे के भीतर ही उनकी हालत बिगड़ गई थी। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। किडनी फेल होने के कुछ देर बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ। 14 जनवरी की शाम साढ़े 4 बजे उनकी मौत हो गई। शव डेथ सर्टिफ़िकेट के साथ परिजनों को सौंप दिया था।’
डॉक्टर के बयान के बाद एडीजी मीडिया से यह बोले थे
‘मेरे पापाजी कुलामणि मिश्रा की 13 जनवरी को तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। मैं उन्हें इलाज के लिए पहले एक प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुँचा। यहाँ डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उन्हें उसी दिन बंसल अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहाँ अगले दिन 14 जनवरी की शाम डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्होंने हमें कोई डेथ सर्टिफ़िकेट नहीं दिया। मैं उन्हें घर लेकर आ गया। मैं इस स्थिति में नहीं था कि कुछ समझ सकूँ। मेरे स्टाफ ने उनके निधन की सूचना प्रकाशित करा दी। 15 जनवरी को मेरी बहन ने मुझसे कहा कि पापा को देखकर ऐसा लग रहा कि वे जीवित हैं। मैंने पल्स मीटर उनकी ऊँगली में लगाया तो उनकी पल्स चल रही थी। वहीं हमारे पारिवारिक नाड़ी वैद्य भी पचमढ़ी से आ गए थे। उन्होंने भी तीनों नाड़ियाँ देखीं, जो चल रही थीं। वैद्य ने बताया कि छाती में ज़्यादा कफ जमा हो गया है। हम लोगों ने तुरंत उनके हाथ-पैरों की मालिश शुरू की। इसके बाद शरीर में कुछ हलचल शुरू हुई। मेरे पापा अपने नाती-पोतों को बहुत प्यार करते हैं। वे उन्हें आवाज़ लगाते हैं तो उनके शरीर में हलचल होती है। उनकी जीभ पर कुछ मीठा रखो तो वे उसे भी अंदर कर लेते हैं। लेकिन तीखा रखो तो बाहर कर देते हैं। मेरे पापा ने सालों योग किया है। उनका अंतिम साँस तक यही प्रयास है कि वह जल्द ठीक होकर सबके सामने आएँ। मेरे पापा ज़िंदा हैं, उनको कैसे जला दूँ। कुछ अख़बारों में पिता का शव एक महीने से घर में रखने की ख़बर झूठी और अफ़वाह है। मैं इसकी निंदा करता हूँ।'
वैद्य का दावा, वह अभी जीवित हैं
मिश्रा के पारिवारिक वैद्य राधेश्याम शुक्ला का भी दावा रहा है कि ‘15 जनवरी की सुबह क़रीब 8 बजे अंत्येष्टि में शामिल होने पचमढ़ी से भोपाल आया था। अंतिम यात्रा की तैयारियाँ चल रही थीं। इसी बीच मिश्राजी के ज़िंदा होने की ख़बर मिली। मैंने उनकी नब्ज़ टटोली तो उनकी पल्स चल रही थी। उसी समय पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर पल्स जाँची तो नब्ज़ 40 और ऑक्सीजन सेचुरेशन का स्तर 75 निकला। डॉक्टर बुलाकर चेक कराया तो उन्होंने भी मिश्रा के जीवित होने की पुष्टि की।'
मानवाधिकार आयोग ने क्या दिया पुलिस को आदेश?
मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने 19 फ़रवरी को डीआईजी भोपाल को मामले की जाँच कर दो दिन में रिपोर्ट देकर सच्चाई पता लगाने को कहा था। आयोग ने 74 बंगला क्षेत्र में बदबू और इससे बीमार होने की बात कहने वाले लोगों के भी बयान लेने को कहा। साथ ही रहवासी इलाक़े में फैल रही बदबू का कारण पता करके उसे ख़त्म करने के लिए निर्देशित किया। डॉक्टरों की टीम जब पड़ताल और सच्चाई का पता लगाने के लिए पहुँची तो मिश्रा और उनके परिजनों ने टीम को अपने घर में घुसने नहीं दिया। मिश्रा ने कहा यह उनका निजी मामला है और इसमें किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने दिया जायेगा।
आयोग ने नोटिस में पूछे कई सवाल
- क्या, एडीजी राजेन्द्र कुमार मिश्रा के पिता कुलामणि मिश्रा का निधन हो चुका है?
- नाड़ी वैद्य और आयुर्वेद पद्धति से इलाज पर विशेषज्ञ समिति परीक्षण करके स्पष्ट अभिमत दे।
- यदि कुलामणि मिश्रा की मृत्यु हो चुकी हो तो यह स्पष्ट करें कि परीक्षण के कितने समय पूर्व उनका निधन हो चुका है?
- इस बीच मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने 11 मार्च को दूसरा नोटिस जारी किया है। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, भोपाल कमिश्नर और कलेक्टर के साथ डीजीपी को निर्देशित किया गया है कि 26 मार्च को आयोग में होने वाली सुनवाई के पहले एक प्रतिवेदन आयोग को उपलब्ध करवाया जाये। आयोग ने 19 फ़रवरी को जारी किए गए पहले नोटिस में दिये गये बिन्दुओं के आधार पर ही प्रतिवेदन चाहा है।
हाईकोर्ट गये हैं कुलामणि के परिजन
मिश्रा और डीजीपी की ताज़ा प्रतिक्रियाएँ नहीं मिल सकीं
मामले से जुड़े ताज़ा तथ्यों पर प्रतिक्रिया के लिए ‘सत्य हिन्दी’ ने एडीजी राजेन्द्र कुमार मिश्रा और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक वी.के. सिंह से संपर्क साधा, लेकिन दोनों ही प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। मिश्रा का सेल फोन स्विच ऑफ़ और नेटवर्क एरिया से बाहर बताता रहा, जबकि वी.के. सिंह के कार्यालय से बताया गया कि वह मीटिंग में व्यस्त हैं।
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