बीजेपी के नेता यह भी फरमा रहे हैं, ‘अपरोक्ष पद्धति से चुनाव के वक्त पार्षदों/सदस्यों की ख़रीद-फरोख्त़ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। प्रलोभन दिए जाते हैं। लोकतंत्र का चीरहरण होता है। मेयर को बाद में भी ब्लैकमेल किया जाता है। अनावश्यक दबाव बनाया जाता है। खुलकर वह काम नहीं कर पाता है।’
‘नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज़ को चली’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया का कहना है, ‘बीजेपी का तर्क न केवल हास्यास्पद है, बल्कि नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली के हज़ पर जाने जैसा है।’वे कहते हैं, ‘धन और बाहुबल से बीजेपी चुनाव जीतने का प्रयास करती है। हार जाती है तो खरीद-फरोख्त और अनैतिक तरीकों से चुनी हुई सरकारों को गिरा देती है। मुंह मांगी कीमतों पर विधायकों को खरीद कर सरकारें बना लेती है।’उन्होंने कहा, ‘मेयर का सीधे चुनाव, सांसद और विधायक जैसी अहम संस्था को कमजोर करता है। सांसद-विधायक का महत्व कम होता है। उसकी पूछ परख घटती है। सीधे चुने जाने के बाद नागरिकों की सुनना मेयर बंद कर देते हैं। इन्हीं कारणों से हमारी सरकार ने पूर्व की व्यवस्था को बहाल करते हुए मेयर का चुनाव कारपोरेटर के जरिये कराने का निर्णय लिया था।’चुटकी लेते हुए धनोपिया ने यह भी कहा, ‘बीजेपी के मुख से लोकतंत्र की मजबूती जैसा तर्क अब पूरी तरह से बेइमानी बन चुका है।’मध्य प्रदेश में कुल 16 नगर निगम हैं। जबकि 100 नगर पालिकाएं और 264 नगर पंचायतें हैं। राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 23 हजार से कुछ ज्यादा हैं। सूबे में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, रतलाम, देवास, सिंगरोली, कटनी, सतना, छिंदवाड़ा और मुरैना में नगर निगम हैं।
फैसला पलटा था, विधानसभा नहीं गई थी सरकार
चौथी बार सत्ता में आने पर शिवराज सिंह ने कमल नाथ सरकार का मेयर का चुनाव अपरोक्ष रूप से कराये जाने संबंधी आदेश पलटा था। अध्यादेश भी लायी थी, मगर डेढ़ साल के अपने चौथे कार्यकाल में विधेयक के रूप में पारित कराने के लिए विधानसभा लेकर नहीं गई।
बताया गया है, भाजपा के विधायकों के दबाव की वजह से ही शिवराज सिंह असमंजस में थे। चूंकि भाजपा का एक सूत्रीय लक्ष्य यही है पार्षद भले ही कम हो स्थानीय सरकार पर सीधा कब्जा पार्टी का ही होना चाहिए।
ऐसा माना जा रहा है पार्टी के इस एजेंडे के तहत ही मेयर का चुनाव परोक्ष तरीके (जनता के सीधे वोट) से कराये जाने संबंधी मशक्कत की गई है।
फैसला लागू होने पर राज्य की जनता को स्थानीय सरकार चुनने के लिए दो वोट (एक मेयर और दूसर कारपोरेटर पद के लिए) देना पड़ेंगे। प्रदेश में नगर सरकारों के चुनाव ईवीएम के जरिये होते हैं।
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