मध्य प्रदेश की नगर निगमों के महापौर, नगर पालिकाओं और नगर पंचायत अध्यक्षों को पार्षद नहीं बल्कि सीधे जनता चुनेगी। यह व्यवस्था 2003 में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश में लागू हुई थी। साल 2018 में कमल नाथ की सरकार बनी थी तो उसने इस फैसले को पलटते हुए मेयर का चुनाव एक बार फिर कारपोरेटर के माध्यम से कराने का फैसला ले लिया था।

राज्य की स्थानीय सरकारों के चुनाव की संभावनाएं बनते ही मेयर का चुनाव सीधे जनता से कराने को लेकर शिवराज सरकार सक्रिय है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय सरकार में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी एक याचिका को लेकर हाल ही में फैसला देते हुए मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिया है कि ओबीसी आरक्षण के बिना ही ं चुनाव की प्रक्रिया अगले 15 दिनों मे आरंभ कर दी जाये। चुनाव का एलान इसी सप्ताह संभावित है।