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खरगोन: पहले घर गिराया, अब हसीना का पुनर्वास करेगी सरकार

रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के मामले में खरगोन के खसखसबाड़ी इलाके में प्रशासन ने कई घरों को गिरा दिया था। इनमें से एक घर हसीना फखरु का भी था। यह घर बिड़ला मार्ग पर बना था और हसीना के पति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिला था। यह खबर द इंडियन एक्सप्रेस ने दी थी।

खसखसबाड़ी इलाके में ऐसे 12 घरों को गिराया गया था।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, खरगोन के जिला प्रशासन के अफसरों ने नगर निगम के अफसरों के साथ हसीना और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें राशन मुहैया कराया। अफसरों ने पूरे परिवार के अंगूठे के निशान लिए और उन्हें बताया कि जल्द ही किसी दूसरी जगह पर उनका पुनर्वास किया जाएगा।

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हसीना के बेटे अमजद खान ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अफसरों ने उन्हें बताया कि उनके पूरे परिवार को एक मल्टीप्लेक्स में शिफ्ट किया जाएगा लेकिन वह जगह सांप्रदायिक इलाके में है इसलिए हमने वहां शिफ्ट होने से इंकार कर दिया। अमजद ने कहा कि हमने अफसरों को बताया कि हम पिछले तीन दशक से खसखसबाड़ी इलाके में रह रहे थे लेकिन उसके बाद भी वे लोग हमारे लिए अलग-अलग इलाकों में घर की तलाश करते रहे।

इस मामले में प्रशासन का कहना है कि हसीना का घर जिस प्लॉट पर बना था वह राजस्व विभाग का था। जबकि हसीना के बेटे अमजद ने 2017-18 के बिजली के बिल और दूसरे दस्तावेज दिखाए थे। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर हसीना के पति ने प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान के लिए आवेदन किया था।

प्रधानमंत्री आवास योजना से मदद मिलने से पहले वे लोग इसी इलाके में एक कच्चे मकान में रह रहे थे। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से कुल ढाई लाख रुपए मकान बनाने के लिए मिले थे।

प्रशासन के अफ़सरों ने हसीना के परिवार से कहा कि अगर वे लोग धर्मशाला में रुकना चाहते हैं तो रुक सकते हैं लेकिन हसीना के परिवार ने इससे इनकार कर दिया और इन दिनों वे लोग एक गौशाला में रह रहे हैं। उन लोगों को अपनी सुरक्षा का भी डर है।

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लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि हसीना के घर पर इस तरह कार्रवाई करने वाले अफसरों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई होगी।हसीना का तो पुनर्वास कर दिया जाएगा लेकिन बड़वानी और खरगोन में कई और लोगों के घर भी गिराए गए हैं तो क्या मध्य प्रदेश की सरकार और संबंधित जिला प्रशासन उन सभी लोगों का पुनर्वास करेगा। ऐसे लोगों के पुनर्वास के बारे में प्रशासन पूरी तरह चुप है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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