मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ भोपाल पुलिस ने मंगलवार शाम एफ़आईआर दर्ज कर ली। खरगोन हिंसा को लेकर एक फर्जी फोटो ट्वीट कर धार्मिक भावनाएं भड़काने सहित आईपीसी की धाराओं में उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा किया गया है। जो धाराएं लगाई गईं हैं, वे सभी जमानती हैं।
खरगोन में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद मंगलवार सुबह दिग्विजय सिंह ने एक मसजिद का फोटो ट्वीट किया था। फोटो में भगवा झंडा हाथों में थामे एक उन्मादी मसजिद की मीनार पर चढ़ा दिख रहा था। मसजिद के बाहर भी हाथों में तलवारें, डंडे और भगवा थामे लोग खड़े नज़र आ रहे थे। फोटो में महिला और बच्चे भी उन्मादियों में शामिल थे।
फोटो को शेयर करते हुए दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘क्या तलवार-लाठी ले कर धार्मिक स्थल पर झंडा लगाना उचित है? क्या खरगोन प्रशासन ने हथियारों को ले कर जुलूस निकालने की इजाज़त दी थी? क्या जिन्होंने पत्थर फेंके चाहे जिस धर्म के हों सभी के घर पर बुलडोज़र चलेगा, शिवराज जी मत भूलिए आपने निष्पक्ष होकर सरकार चलाने की शपथ ली है।’
दिग्विजय सिंह द्वारा ट्वीट किया गया यह फोटो मध्य प्रदेश का नहीं था। असल में उन्होंने फोटो को खरगोन हिंसा से जोड़ा था, जबकि फोटो मुजफ्फपुर का निकला था। असलियत सामने आते ही राजनीति शुरू हो गई थी। हालांकि गलती का अहसास होते ही दिग्विजय सिंह ने अपने अकाउंट से विवादित ट्वीट और फोटो हटा दिया था।
उधर बीजेपी और उसके नेताओं के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दिग्विजय सिंह को निशाने पर ले लिया था। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था, ‘बेहद नाजुक अवसर पर राज्यसभा के सदस्य और कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह का हिंसा भड़काने वाला कृत्य अशोभनीय और ग़ैर ज़िम्मेदाराना है। सरकार विधिवेत्ताओं से रायशुमारी कर रही है। विधिवेत्ताओं की राय मिलने के बाद सिंह के खिलाफ मामला-मुकदमा कायम किया जायेगा।’ मुख्यमंत्री ने भी दो टूक कहा था, ‘राज्य की शांति को भंग करने वाला कितना ही बड़ा व्यक्ति क्यों ना हो, उसके खिलाफ एक्शन लेने से सरकार गुरेज नहीं करेगी।’
तमाम राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच एक निजी संस्थान में जॉब करने वाले भोपाल निवासी प्रकाश माण्डे नामक शख्स पुलिस के समक्ष पहुंचे थे। मांडे ने अपने शिकायती आवेदन में कहा था, ‘दिग्विजय सिंह ने फेब्रीकेटेड फोटो ट्वीट कर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश कर, प्रदेश में अस्थिरता लाने की कोशिश की।’
मांडे की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए भोपाल क्राइम ब्रांच ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ मंगलवार की शाम को एफ़आईआर दर्ज कर ली। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर भारतीय दंड विधान की धारा 153 (ए), 295 (ए), 465 और 505 (2) के तहत केस रजिस्टर्ड किया है। दिग्विजय सिंह पर लगाई गई सभी धाराएँ जमानती हैं। गिरफ्तार नहीं करने की स्थिति में नोटिस तामिल कराकर थाने से ही सिंह को छोड़ा जा सकता है। नोटिस तामील करने के बाद दिग्विजय सिंह को कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाना होगी। जमानती अर्जी पर फ़ैसला कोर्ट लेगा।
सिंह पर लगाईं गई धाराएं-
धारा 153 (ए) - किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं पर कोई ऐसा कार्य व्यक्ति/समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है। 3 वर्ष कारावास या जुर्माना या फिर दोनों भी हो सकते हैं।
धारा 295 (ए) - भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने या या प्रयत्न करने पर तीन वर्ष तक कारावास हो सकेगी, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।
धारा 465 - कूटरचना करने पर दो वर्ष तक कारावास, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 505 (2) - विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन आदि करना। सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों हो सकती है। यह अपराध गैर-जमानती, संज्ञेय है तथा किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है।
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