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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम कर चुके भारतीय जनता पार्टी के सीनियर लीडर एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य रघुनंदन शर्मा की साफगोई ने मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए मुश्किल में डाल दिया है। पूर्व सांसद की ‘खरी-खरी’ के बाद विपक्ष ने भी सरकार पर हमला बोल दिया है।
मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यसभा सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने शुक्रवार को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में पर्यावरण शुद्धि, जल-जलाशय शुद्धिकरण और गंदगी को समाप्त करने के अभियान की तरह शासन-प्रशासन या राजनीतिक जगत की ‘गंदगी’ को साफ़ करने तथा शुद्धिकरण की सलाह मुख्यमंत्री यादव को दी तो कार्यक्रम में सनाका खींच गया।
रघुनंदन शर्मा भाजपा के संस्थापक सदस्य भी हैं। पार्टी के 1980 में गठन के दौरान जो हलफनामा केन्द्रीय चुनाव आयोग को दिया गया था, उस पर हस्ताक्षर करने वालों में शर्मा भी शामिल रहे थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहने के अलावा जनसंघ के जमाने से वे मध्य प्रदेश में संगठन के लिए काम कर रहे हैं। मंदसौर के मूल निवासी 78 साल के शर्मा ने भाजपा के कुशाभाऊ ठाकरे के साथ काम किया है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सखलेचा, सुंदरलाल पटवा एवं कैलाश जोशी के कंधे से कंधा मिलाकर जनसंघ और भाजपा को खड़ा करने में महती भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक वक्त जब मध्य प्रदेश भाजपा के प्रभारी महासचिव हुआ करते थे, तब शर्मा भाजपा की राज्य इकाई के साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी पावरफुल थे। शर्मा खरा-खरा और साफ-साफ बोलने के लिए जाने जाते हैं। काफी वक्त से वे मुखर हैं। मप्र के साथ-साथ राष्ट्रीय संगठन के कामकाज की शैली को भी वे परोक्ष-अपरोक्ष तौर पर निशाना बनाते रहे हैं।
कार्यक्रम में आभार जताने के लिए रघुनंदन शर्मा को बुलाया गया। उन्होंने माइक संभालने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव से प्रार्थना और निवेदन किया, ‘आप जिस तरह से पर्यावरण शुद्धि, जल और जलाशय शुद्धिकरण और गंदगी को समाप्त करने का अभियान चला रहे हैं, वैसे ही शासन-प्रशासन या राजनीतिक जगत में जो गंदगी है, उसे भी शुद्ध करने का अभियान चलाइए। इसमें शुद्धिकरण की आवश्यकता है।’
पूर्व सांसद शर्मा ने कहा, ‘मध्य प्रदेश शासन में कुछ लोग ऐसे हैं जो स्वार्थ के कारण अपनी मनचाही जगह बैठे हैं। अपने घर भर रहे हैं। लोगों को तंग कर रहे हैं। पिछले कई वर्षों से राजनीति के माध्यम से मध्य प्रदेश में ऐसे तत्व बहुत सक्रिय हुए हैं। पनाह मिली है, उनको। मौका मिला है, अवसर मिला है। और उस अवसर का लाभ अपने निजी निहित स्वार्थ के कारण करते हैं।’
बयान की भनक लगने के बाद मीडिया ने जब रघुनंदन शर्मा को घेरा और पूछा तो उन्होंने सहज भाव में सीधे एवं इशारा करते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री से कहा है, आपने कठोरता से कुछ कड़े निर्णय लिए हैं, दंड भी दिए हैं। आप जरा उसी कठोरता के साथ ऐसे तत्वों को दंडित करो, चिन्हित करो और शुद्धिकरण करो, जो सरकार एवं पार्टी के लिए खतरा बनते चले जा रहे हैं।’
क्या नसीहत में संगठन भी शामिल है? प्रश्न के जवाब में शर्मा ने कहा, ‘उन्होंने अपनी बात में शासन-प्रशासन, राजनीतिक क्षेत्र कहा है। इसमें राजनीतिक क्षेत्र भी शामिल है, तो संगठन भी शामिल ही है।’
पूर्व सांसद ने संकेतों में कहा, ‘सत्ता में बिचौलिए एवं दलालों के कारण विकास अवरुद्ध होता है, जनता परेशान होती है। उपभोक्ता भी परेशान होते हैं, इसलिए सहज सेवा सबको प्राप्त हो सके, इसके प्रयास करना चाहिए।’
पूर्व सांसद शर्मा का सख्त बयान आने के बाद, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, ‘रघुनंदन जी को इस बात का आभास है कि यह सरकार तीन-सी की सरकार है। तीन सी यानी - करप्शन की, क्राइम की और कर्ज की सरकार है।’
जीतू पटवारी के शुक्रवार के बयान के पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने बीते दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव को खत लिखा था। खत में सत्ता के कथित दलालों के नामों वाली सूची भी सीएम को भेजी थी।
कटारे ने अनुरोध किया था, ‘मुख्यमंत्री युवा हैं। नये हैं। उन्हें सत्ता को दलालों से सरकार एवं राज्य की जनता को बचाने के अपने धर्म का निर्वहन करना चाहिए।’
कटारे के खत पर जमकर राजनीति हुई थी। भाजपा ने कटारे के आरोपों को कपोल कल्पित करार दिया था।
भाजपा नेता रघुनंदन शर्मा ने पार्टी के हालात पर तंज कसते हुए चुनावों के दौरान कहा था, ‘मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन के 5-5 प्रभारी हैं, लेकिन संगठन की स्थिति पांच पतियों वाली द्रौपदी समान है। भारी दुर्दशा है। पांच प्रभारी प्रभावशाली ढंग से संगठन चला रहे हों, ऐसा दिखता नहीं। बार-बार संवादहीनता की स्थिति पैदा हो रही है। संवादहीनता हमेशा नुकसान पहुंचाती है।’
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