मध्य प्रदेश की अलीराजपुर कोर्ट ने रतलाम से बीजेपी के सांसद गुमान सिंह डामोर सहित चार लोगों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने का आदेश दिया है। सांसद और तीन अन्य अभियुक्तों को 17 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के आदेश भी दिए गए हैं।
बता दें डामोर पर यह केस सरकारी सेवा में रहते हुए किए गए भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज हुआ है।
अलीराजपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्पित जैन ने भारतीय दंड विधान की धारा 120बी और कई अन्य धाराओं के तहत गुमान सिंह डामोर, गणेश शंकर मिश्रा (मप्र कैडर के 2010 बैच के आईएएस), डीएल सूर्यवंशी और सुधीर कुमार सक्सेना (पीएचई महकमे के पुराने अफसरों) के ख़िलाफ़ परिवाद दर्ज किया है।
सरकारी खजाने को नुक़सान
मामले को कोर्ट लेकर जाने वाले फरियादी धर्मेन्द्र शुक्ला की याचिका पर प्रकरण दर्ज हुआ है। आरोप है कि आरोपीगणों ने सरकारी सेवा में रहते हुए साल 2006-07 से लेकर अपने सरकारी सेवाकाल में अनेक तरह के भ्रष्टाचार किए। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रूपयों की हानि पहुंचाई।
फ्लोराइड नियंत्रण से लेकर हैंडपंप खनन, तमाम सरकारी खरीदियों और निविदाएं बुलाने में नियम-कायदों की जमकर अनदेखी की। करोड़ों रूपये के अनेक ऐसे भुगतान किए गए जिनमें काम हुए ही नहीं। बिना संबंधित माल का प्रदाय हुए भी करोड़ों रूपयों की राशि के भुगतान फर्जी बिलों पर कर दिए गए।
कोर्ट दर कोर्ट भटके, मिली तारीखें
याचिकाकर्ता धर्मेन्द्र शुक्ला ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया कि न्याय के लिए वे पिछले 14 सालों से संघर्षरत हैं। निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक का दरवाजा उन्होंने खटखटाया है। अलग-अलग अर्जियों पर कोर्ट ने फैसलों का पालन नहीं होने पर अवमानना का मुकदमा दर्ज करते हुए आदेश भी दिए।
ऐसी ही एक याचिका पर उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में जाने का निर्देश उन्हें दिया था। इसके बाद 2019 में वे अलीराजपुर कोर्ट पहुंचे। उसी याचिका पर अलीराजपुर कोर्ट ने संबंधितों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाने का फैसला लेते हुए संबंधितों को 17 जनवरी, 2022 को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट के निर्णय के बाद याचिकाकर्ता खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘न्याय को लेकर चल रहा लंबे संघर्ष का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है। यह चरण अब अपने अंजाम के करीब है।’
चर्चित अफसर थे डामोर
रतलाम के बीजेपी सांसद डामोर राजनीति में आने से पहले मध्य प्रदेश के पीएचई डिपार्टमेंट में लंबे वक्त तक पदस्थ रहे। अलग-अलग पदों पर उन्होंने सेवाएं दीं। वे कार्यपालन यंत्री से लेकर मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के अहम पद पर लंबे समय तक तैनात रहे।
प्रमुख अभियंता पद से सेवानिवृत्ति के बाद कई बार सरकार ने उन्हें सेवावृद्धि दी। उनकी सेवावृद्धि मीडिया की जमकर सुर्खियां बनीं। कई बार सेवावृद्धि को लेकर अलग-अलग फोरमों पर शिकायतें हुईं। बीजेपी के दिल्ली के नेताओं तक को शिकायतें भेजीं गईं।
शिकवे-शिकायतों और कोर्ट-कचहरी का सिलसिला तेज होने पर मध्य प्रदेश की सरकार ने उन्हें रिटायर कर दिया। मगर बाद में डामोर को बीजेपी में प्रवेश मिल गया।
बीजेपी में प्रवेश के कुछ वक्त के बाद ही पहले उन्हें विधानसभा के टिकट से नवाजा गया और बाद में लोकसभा का टिकट दे दिया गया।
मप्र विधानसभा के 2018 के चुनाव में झाबुआ के मूल निवासी डामोर को बीजेपी ने झाबुआ सीट से टिकट दिया था। डामोर ने इस सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पुराने आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉक्टर विक्रांत भूरिया को 10 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त देकर अपनी राजनीतिक पारी की धमाकेदार शुरुआत की।
साल 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने झाबुआ विधानसभा सीट से त्याग पत्र दिलवाकर डामोर को रतलाम लोकसभा सीट से उतार दिया। इस सीट के लिए चुनाव में डामोर ने कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को 90 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
डामोर के इस्तीफे से रिक्त हुई झाबुआ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल हो गए थे।
नहीं मिली डामोर की प्रतिक्रिया
भ्रष्टाचार के मामले को लेकर अलीराजपुर कोर्ट के फैसले के बाद ‘सत्य हिन्दी’ ने रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर से संपर्क किया, लेकिन प्रतिक्रिया के लिए वे नहीं मिले। उनके दोनों सेल फोन स्विच ऑफ बताते रहे। व्हाट्सएप और एसएमएस संदेश भी डामोर को भेजे गए, लेकिन उनका कोई जवाब ‘सत्य हिन्दी’ को नहीं मिला।
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