बीएसपी और कांग्रेस में गठबंधन नहीं होने से ग्वालियर और भिंड क्षेत्र में भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव की जीत दोहरा सकती है। 2013 के चुनाव में भाजपा 11 सीटें जीती थीं। लेकिन यदि बीएसपी और कांग्रेस के वोटों को एक साथ जोड़ दिया जाता तो दोनों क्षेत्रों की 16 में से 3 सीटें ही बीजेपी जीत पाती।
बीएसपी और कांग्रेस में अगर गठबंधन हो जाता तो ग्वालियर और भिंड क्षेत्र में पूरी चुनावी तसवीर ही बदल जाती। ऐसा इसलिए कि यूपी के झांसी और इटावा जिले से सटे ग्वालियर और भिंड क्षेत्र में मायावती का अच्छा-ख़ासा प्रभाव है। इसे पिछले चुनाव के नतीज़ों से भी समझा जा सकता है। बीएसपी पिछले चुनाव में भिंड सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। तब बीएसपी काे यहां कांग्रेस से दोगुना 45 हज़ार वोट मिले थे। भाजपा सिर्फ़ पांच हज़ार के अंतर से जीती थी। ग्वालियर के पोहरी सीट पर भी बीएसपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल कर दूसरे स्थान पर काबिज़ हुई थी। 12 सीटों पर तो बीएसपी तीसरे और दो सीटों चौथे नंबर पर रही थी। ग्वालियर, भिंड क्षेत्र की सभी सीटों पर बीएसपी ने काफी वोट पाए थे।
बीएसपी और कांग्रेस में गठबंधन नहीं होने से बीजेपी के नेता काफी राहत महसूस कर रहे हैं। भाजपा नेता मानते हैं कि बीएसपी और कांग्रेस में गठबंधन होने पर अधिकतर सीटें अलायंस जीतता, लेकिन अब बीजेपी को फ़ायदा होगा। हालांकि, एक कांग्रेस नेता ने कहा है कि बीएसपी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उन्होंने इसके पीछे कारण बताया कि 2013 के चुनाव में इस क्षेत्र में आरक्षित दो सीटों पर बीएसपी चौथे स्थान पर रही थी।
अमित शाह और राहुल गांधी की नज़रें भी यहां गड़ीं
चुनाव में इस क्षेत्र के महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां कई रैलियां करने वाले हैं। शाह शिवपुरी, गुना और ग्वालियर में तो राहुल इन क्षेत्रों में दो दिन तक चुनावी रैलियां करेंगे।
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